जात-पात और भेदभाव को त्याग सबको अपने से जोड़ें : भागवत

जात-पातविदिशा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने जात-पात और ऊंच-नीच के भाव को त्यागकर सभी को अपने से जोड़ने का आह्वान किया है। उन्होंने कपड़े धोने से लेकर मोची का काम करने वाले तक को गले लगाने की बात कही। मध्य प्रदेश के विदिशा में गुरुवार से शुरू हुए तीन दिवसीय समन्वय शिविर में हिस्सा लेने आए भागवत ने एकात्म यात्रा में हिस्सा लेते हुए कहा, “समाज में सब समान हैं, किसी को भी ऊंचा या नीचा न समझें, जात-पात को लेकर भेदभाव न करें, सभी भारत माता के पुत्र हैं, उन्हें अपना सहोदर समझें।”

भागवत ने मौजूद लोगों से कहा, “इस मकर संक्रांति से आप संकल्प लें कि उन सभी लोगों के साथ जुड़ेंगे, जो आपके संपर्क में हैं। चाहे घर में आकर काम करने वाली बाई हो, कपड़ा धोने वाला, कटिंग करने वाला या जूते-चप्पल सुधारने वाला। इन सभी को मकर संक्रांति के मौके पर तिल और गुड़ बांटें।”

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उन्होंने आगे कहा, “यह सिलसिला सिर्फ मकर संक्रांति तक ही न रहे, बल्कि होली, दीपावली, दशहरा आदि के अवसर पर भी एक-दूसरे के घर जाकर मिलें-जुलें, अगली मकर संक्रांति तक कम से कम सात-आठ बार आपस में मुलाकात होनी चाहिए। इससे सामाजिक समरसता आएगी।”

संघ प्रमुख ने आगे कहा, “बोलने और प्रवचन करने से कुछ नहीं होता, जो कहें वो करने की जरूरत है। अगर दुखी और कमजोर लोगों के जीवन में आपने खुशहाली ला दी, तो शंकराचार्य का वेदांत दर्शन आपको न केवल समझ में नहीं आएगा, बल्कि अपने आप आपके मुंह से निकलने लगेगा।”

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राज्य में एकात्म यात्रा निकाली जा रही है। इस यात्रा का मकसद ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की प्रतिमा की स्थापना के लिए धातु और मिट्टी का संग्रह करना है। भागवत के आह्वान पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की, कि वे मकर संक्रांति के मौके पर गांव में गरीबों के घर जाकर तिल-गुड़ का वितरण करेंगे।

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