जवाहर नवोदय विद्यालयों में 49 बच्चों की आत्महत्या पर मानवाधिकार आयोग का नोटिस

साल 2013 से 2017 के बीच जवाहर नवोदय विद्यालयों में 49 बच्चों की आत्महत्या के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने स्वत: संज्ञान लिया है। आयोग ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सचिव को भेजे नोटिस पर छह हफ्ते में जवाब मांगा है। हाल ही में आई एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि पांच वर्ष में नवोदय विद्यालयों में 49 बच्चों ने सुसाइड किया। इनमें आधे से ज्यादा दलित और आदिवासी समुदाय से थे।

49 students sucide in Jawahar Navodaya

आयोग ने मंगलवार को जारी बयान में कहा, 49 में से 7 को छोड़कर बाकी बच्चों के शव फांसी के फंदे पर लटकते मिले। जिन्हें सहपाठी बच्चों या स्कूल स्टाफ ने सबसे पहले देखा। प्रतिभाशाली ग्रामीण बच्चों को अच्छी शिक्षा मुहैया कराने के मकसद से शुरू किए गए जवाहर नवोदय विद्यालयों में ऐसी घटनाओं पर गंभीर चिंता जताते हुए आयोग ने सरकार से जवाब-तलब किया है।

आयोग ने पूछा है कि क्या इन विद्यालयों में बच्चों की मदद के लिए और उनकी भावनाओं को समझने वाले प्रशिक्षित काउंसलर होते हैं? क्या यह सुनिश्चित किया जाता है कि हॉस्टल के कमरों में बच्चे अकेले न रहें। आयोग ने पूछा है कि क्या बच्चों को सुसाइड से बचाने लिए हॉटलाइन काउंसिलिंग की सुविधा मुहैया है।

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आयोग ने सुसाइड करने वाले बच्चों में अनुसूचित जाति और जनजाति के बच्चों की संख्या ज्यादा होने पर भी चिंता जताई। आयोग ने कहा, प्रतिभाशाली विद्यार्थियों की सही देखभाल होनी चाहिए। सुझाव दिया कि समय-समय पर और सही काउंसिलिंग से बच्चों को ऐसे आत्मघाती कदम उठाने से रोका जा सकता है। गौरतलब है कि देश में 635 जवाहर नवोदय विद्यालय हैं, जिनमें 2.8 बच्चों पढ़ रहे हैं।

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