जल्लीकट्टू : पुलिस कार्रवाई के बाद हिंसक हुआ प्रदर्शन, वाहन फूंके गए

जल्लीकट्टू के समर्थन मेंचेन्नई। तमिलनाडु में जल्लीकट्टू के समर्थन में मरीना बीच पर करीब एक सप्ताह से चल रहा प्रदर्शन सोमवार को उस वक्त हिंसक हो गया, जब पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को जबरन मरीना बीच से हटाना शुरू किया। प्रदर्शनकारियों ने चेन्नई में कई वाहनों में आग लगा दी और पुलिस पर पथराव किया। बीच से हटाए जाने से गुस्साए जल्लीकट्टू समर्थकों ने आईस हाउस पुलिस स्टेशन पर खड़े वाहनों में आग लगा दी और पुलिसकर्मियों पर ईंटों और पत्थरों से हमला किया।

दमकल की गाड़ियों ने आग को काबू में किया।

बीच पर पिछले 17 जनवरी से जुटे प्रदर्शनकारियों को वहां से हटाने के लिए बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी पहुंचे। अन्य प्रदर्शनकारियों ने इसे रोकने की कोशिश की, जिसके चलते भारी हंगामा हुआ।

उसके बाद पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठियां चलाईं। लोग समुद्र तट से भागकर नजदीकी सड़कों पर एकत्रित होने लगे, इसी बीच हिंसा और उपद्रव और बढ़ गया।

तट के पास स्थित त्रिप्लिकेन इलाके में भारी हंगामा हुआ।

पुलिस ने मरीना की ओर जाने वाली कई सड़कों पर एकत्र होकर सुरक्षा कर्मियों पर पथराव कर रहे प्रदर्शनकारियों की भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले भी छोड़े।

पुलिस ने मरीना बीच की ओर जाने वाले सभी मार्गो को घेर लिया है।

पुलिस की कार्रवाई जल्लीकट्टू के आयोजन की मांग को लेकर करीब एक सप्ताह से चल रहे विरोध प्रदर्शन के बाद हुई है।

प्रदर्शनकारी इसके लिए अध्यादेश लाए जाने भर से संतुष्ट नहीं हैं और इस मुद्दे पर एक स्थायी समाधान चाहते हैं।

पुलिस की कार्रवाई सोमवार को राज्य विधानसभा की वर्ष 2017 में पहली बैठक के समय हुई है।

कोयम्बटूर में पुलिस ने मिट्टी के तेल का डिब्बा लेकर खुद को जलाने की धमकी दे रहे एक प्रदर्शनकारी को तुरंत काबू में किया और उसे ऐसा करने से रोका।

जल्लीकट्टू के आयोजन के लिए एक अध्यादेश जारी होने के बाद राज्य सरकार ने रविवार को कई स्थानों पर जल्लीकट्टू का आयोजन किया।

प्रदर्शनकारियों की केंद्र सरकार से प्रदर्शन के लिए इस्तेमाल न किए जाने वाले पशुओं की सूची में से सांड को हटाने की मांग कर रहे हैं।

अध्यादेश जारी होने के बाद जल्लीकट्टू पथुकप्पु पेरावई के अध्यक्ष पी. राजशेखर ने प्रदर्शनकारियों से प्रदर्शन समाप्त करने का आग्रह किया था।

हालांकि राज्यभर में पीपल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पीटा) के खिलाफ प्रदर्शनकारियों का आक्रोश नजर आया, लेकिन अधिकांश प्रदर्शन स्थलों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम के विरोध में नारेबाजी सुनाई दी।

कुछ प्रदर्शनकारियों की तख्तियों पर असभ्य भाषा भी लिखी नजर आई, वहीं कुछ पर अलग तमिल राज्य की मांग लिखी हुई थी।

रेल की पटरियों पर प्रदर्शन के कारण कई ट्रेनों को रद्द करना पड़ा, जिसके कारण हजारों यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

दक्षिण रेलवे ने सोमवार को 16 ट्रेनों को रद्द करने की घोषणा की। रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि ट्रेन सेवाएं बाधित होने से करीब 40,000 यात्री प्रभावित हुए।”

इस बीच, डीएमके के कार्यकारी अध्यक्ष और तमिलनाडु विधानसभा में विपक्ष के नेता एम.के. स्टालिन ने पुलिस कार्रवाई की निंदा की।

वहीं, पीएमके नेता अंबुमणि रामदास ने कहा कि पार्टी ने 26 जनवरी को जल्लीकट्टू को लेकर विरोध प्रदर्शन करने का अपना फैसला वापस ले लिया है, क्योंकि राज्य सरकार ने इसके आयोजन की अनुमति के लिए अध्यादेश जारी कर दिया है।

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