चेन्नई| जलीकट्टू के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की अपील मान ली है। कोर्ट ने एक हफ्ते तक फैसला न सुनाने की केंद्र की मांग को मान लिया है। तमिलनाडु मे बढ़ते तनाव को मद्देनजर रखते हुए मोदी सरकार ने कोर्ट के सामने यह मांग रखी थी।
तमिलनाडु में बैल को काबू करने के प्राचीन और लोकप्रिय खेल जलीकट्टू के समर्थन में शुक्रवार को भी प्रदर्शन जारी हैं। इसे शुक्रवार को और बल मिला, जब व्यापारियों ने जल्लीकट्टू के समर्थन में अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रखने और टैक्सी, ऑटो-रिक्शा और ट्रक संचालकों ने सड़कों पर अपनी सेवा नहीं देने का ऐलान किया।
राज्य में विपक्षी दल द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) ने जल्लीकट्ट के समर्थन में रेल की पटरियों पर प्रदर्शन की घोषणा की, जिसके बाद दक्षिण रेलवे ने चार रेलगाड़ियों का परिचालन रद्द कर दिया है, जबकि कुछ अन्य रेलगाड़ियों के परिचालन में तब्दीली की है।
राज्य सरकार के कर्मचारियों ने जल्लीकट्ट के समर्थन में जुलूस निकालने का फैसला किया है, जबकि केंद्र सरकार व सार्वजनिक क्षेत्र के कार्यालय में कामकाज हो रहा है।
#WATCH: Chennai's Marina Beach continues to witness massive crowd coming out in support of #Jallikattu pic.twitter.com/Elspz4uFOK
— ANI (@ANI) January 20, 2017
बैंक संघों ने भी जल्लीकट्ट के लिए प्रदर्शन कर रहे लोगों को अपना समर्थन दिया है।
फिल्म उद्योग ने शूटिंग रद्द कर दी है, जबकि सिनेमाहॉल शुक्रवार को बंद हैं।
कुछ जिलों में स्कूलों को भी बंद रखा गया है।
चेन्नई में मरीना बीच पर गुरुवार को भी पूरी रात प्रदर्शनकारियों का जमावड़ा रहा।
मरीना बीच पर बुधवार को एकत्र हुए हजारों युवकों और युवतियों ने न केवल जल्लीकट्ट से प्रतिबंध हटाने की मांग की है, बल्कि उन्होंने पशु अधिकार संगठन पीपुल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) पर प्रतिबंध लगाने की भी मांग की है।
उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय ने मई 2014 में जल्लीकट्ट के आयोजन पर रोक लगा दी थी। इसके बाद से ही लोग केंद्र सरकार से जल्लीकट्टू के आयोजन की अनुमति के लिए जरूरी कानूनी कदम उठाने की मांग कर रहे हैं।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय ने जल्लीकट्ट पर रोक लगाकर तमिल संस्कृति का अपमान किया है।