…जब नरेंद्र मोदी ने बचाई थी जयललिता की जान

जयललिता और शशिकलाचेन्नई। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता और शशिकला की दोस्ती के किस्से 25 साल तक चर्चा में रहे। शशिकला उनकी आंख, नाक, कान सब कुछ मानी जाती थीं।

साल 2012 में दोनों में फूट तब पड़ी, जब गुजरात के सीएम रहे नरेंद्र मोदी ने जयललिता के सामने बड़ा राज खोला। इसके बाद से ही जयललिता और शशिकला के रिश्‍ते बिगड़ते चले गए।

तहलका पत्रिका ने दावा किया था कि जयललिता की खास वीके शशिकला उन्हें धीमा जहर दे रही थी। इसकी वजह जयललिता की सम्पत्ति और तमिलनाडु का तख्‍तोताज था। इस काम में शशिकला की एक नर्स उनका साथ दे रही थीं।

नरेंद्र मोदी के आगाह करने पर ही एआईडीएमके प्रमुख को अपनी सरकार के तख्‍तापलट की साजिश का पता चला और 17 दिसंबर को शशिकला व उनके रिश्‍तेदारों समेत 12 लोगों को पार्टी से निकाल दिया। हालांकि बाद में उनका निष्‍कासन रोक दिया गया था।

तहलका का दावा था कि नरेंद्र मोदी द्वारा आगाह किए जाने के बाद जयललिता ने ‘मन्नारगुडी माफिया’ की हरकतों पर गौर करना शुरू किया। मन्नारगुडी तिरूवरूर जिले में एक छोटा कस्बा है और शशिकला यहीं की हैं।

तमिलनाडु में शशिकला और उनके परिजनों को ‘मन्नारगुडी माफिया’ के नाम से जाना जाता है। मन्नारगुडी माफिया जयललिता को हटाकर शशिकला को मुख्यमंत्री बनाने की साजिश रच रहा था।

समझा जाता है कि वह जयललिता की बेंगलूरु में चल रहे आय से अधिक संपत्ति के मामले में पेशियों से उपजे हालात का लाभ उठाना चाहता था। अब मन्नारगुडी माफिया संकट में है।

मोदी के आगाह करने के बाद जया के सामने चेन्नै मोनोरेल प्रॉजेक्ट का मामला आया और यहीं से उन्हें शक हुआ। वह चाहती थीं कि चेन्नै में मोनोरेल प्रॉजेक्ट पर जल्द से जल्द काम किया जाए। वह सिंगापुर की एक बड़ी कंपनी को इस प्रॉजेक्ट का ठेका देने के पक्ष में भी थीं।

जब कागजी कार्रवाई पूरी होने के बाद फाइल जयललिता के पास पहुंची तो वह चौंक गईं। सरकार की तरफ से मलयेशिया की दूसरी कंपनी को ठेका देने की तैयारी कर ली गई थी। यहीं से दोनों में दरार पड़ गई।

इसके बाद ही जयललिता को खाने में धीमा जहर देने की बा‍त पता चली। डॉक्टरी जांच में इसका खुलासा भी हो गया। इसके बाद उन्होंने शशिकला और उनके रिश्तेदारों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया।

17 दिसंबर, 2011 को जयललिता ने शशिकला को और उसके रिश्तेदारों को अपने घर से निकाल दिया। 40 से ज्यादा उन नौकरों की फौज को भी हटा दिया, जिन्हें शशिकला 1989 में अपने गांव मन्नारगुडी से लेकर आई थीं।

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