आज के दिन गुलाबी नगरी बनी थी ‘रेडसिटी’, 12 मिनट में हुए थे 8 धमाके

गुलाबी नगरीजयपुर। जयपुर, यूं तो गुलाबी नगरी के नाम से मशहूर है। लेकिन इसके इतिहास में 13 मई यानी आज का दिन बेहद काला है। 13 मई 2008 का वो काला दिन आज भी देश के जेहन में बिल्कुल ताजा है। दरअसल, आज के दिन राजधानी जयपुर में 12 मिनट के अंतराल और 2 किलोमीटर के दायर में 8 सीरियल बम धमाके हुए थे। इन धमाकों ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। आतंकवादियों ने आतंक का ऐसा अमिट घाव दिया, जिसके जख्म आज भी राजधानी के लोगों के लिए हरा है।

72 लोगों की हुई थी मौत

आपको बता दें कि चांदपोल हनुमान मंदिर के बाहर आरती के समय पहला धमाका हुआ था और वहीं देखते ही देखते एक के बाद एक 8 धमाकों से गुलाबी नगरी लहूलुहान हो गई थी। चारों ओर खून, चित्कार और लोगों के मांस के लोथड़े ही लोथड़े बिखरे पड़े थे। किसी ने अपना बेटा खोया, तो किसी ने अपना पति, तो किसी ने अपने माता-पिता खोए। इन धमाको में 72 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं हादसे में 287 लोग घायल हुए।

14 लोग हुए थे गिरफ्तार

धमाकों के मामले में राजस्थान के एक विशेष जांच दल ने 14 लोगों को सिम्मी का सदस्य बताते हुए गिरफ्तार किया था, लेकिन मामले की लम्बी सुनवाई के बाद और करीब साढ़े तीन साल बाद 11 आरोपियों को अदालत ने निर्दोष घोषित किया। वहीं मामले में 5 आरोपी आज भी जेल में बंद हैं, जिनमें शाहबाज हुसैन, मोहम्मद सरवर, मोहम्मद सलमान, सैफु रहमान, मोहम्मद सैफ शामिल हैं।

ये आतंकी इन जेलों में हैं बंद

शाहबाद हुसैन, मोहम्मद सरवर और मोहम्मद सलमान ये तीनों आतंकी जयपुर जेल में बंद हैं। वहीं सैफु रहमान साबरमती जेल में बंद है। पांचवां आतंकी मोहम्मद सैफ तिहाड़ जेल में बंद है। जयपुर जेल में बंद तीनों आरोपी सुनवाई के समय अदालत में मौजूद रहते हैं। साथ ही साबरमती व तिहाड़ जेल में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए दोनों आतंकियों की पेशी होती है।

ऐसे चली कानूनी कार्रवाई

उल्लेखनीय है तत्कालीन सरकार ने मामले की जांच के लिए 5 विशेष जांच दल गठित किए और मामले की जल्द से जल्द सुनवाई के लिए 5 नवम्बर 2009 को जयपुर ब्लास्ट मामलों की सुनवाई के लिए एक विशेष न्यायालय का गठन किया गया।

शुरूआती दौर में मामलों पर तुरंत प्रभाव से प्रतिदिन सुनवाई शुरू हुई, लेकिन देखते ही देखते इस सुनवाई को जंग लगती गई। 8 सालों में 9 फाइलों में से महज एक फाइल पर ही सुनवाई पूरी हो सकी है, तो वहीं अभी भी बची हुई 8 फाइल एक लम्बे प्रोसेस का इंतजार कर रही हैं। 8 साल चली सुनवाई में अभी महज 250 गवाहों के ही बयान हो सके हैं।

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