उच्च न्यायलय जम्मू हिरासत में बंद रोहिंग्याओं पर हुई सख्त, रिहाई की नहीं कोई गुंजाइश

सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू में हिरासत में रखे गए 168 रोहिंग्या लोगों को म्यांमार वापस भेजने पर फैसला सुनाते हुए कहा है कि उन्हें नियत प्रक्रिया का पालन किए बिना म्यांमार नहीं भेजा जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि किसी को भी रिहा नहीं किया जा सकता है। सभी को होल्डिंग सेंटर में रहना होगा। बता दें कि कुछ रोहिंग्या लोगों की तरफ से वकील प्रशांत भूषण ने याचिका दाखिल कर यह मांग की थी कि इन लोगों को रिहा कर भारत में ही रहने दिया जाए, जिसपर केंद्र सरकार की तरफ कड़ा विरोध किया गया था।

याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण की मांग थी कि होल्डिंग सेंटर में रखने के बजाए इन लोगों को भारत से वापस न भेजा जाए। इसके साथ ही उन्होंने भारत में रह रहे सभी रोहिंग्याओं को शरणार्थी का दर्जा दिया जाने की मांग भी की थी । उन्होंने कहा था कि इस बात का कोई सबूत नहीं कि रोहिंग्या लोग भारत की सुरक्षा को खतरा पहुंचा रहे हैं।

वहीं इस मांग का विरोध करते हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि जिस अंतर्राष्ट्रीय समझौते के आधार पर वह फैसला आया, भारत ने उस पर दस्तखत नहीं किए हैं। भारत सरकार ने अपनी संप्रभुता और राष्ट्रीय हित के आधार पर कई अंतर्रराष्ट्रीय समझौतों से दूरी रखी है। तुषार मेहता ने बताया था कि भारत सरकार की म्यांमार सरकार से बातचीत जारी है। म्यांमार सरकार की पुष्टि के बाद ही इन लोगों को वापस भेजा जाएगा।

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