जन औषधि दिवस- PM ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर बताया कैसे कारगर साबित हुई योजना

आज जन औषधि दिवस के मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जन औषधि के लाभार्थियों से सीधे जुड़े। आज पुरे भारत में इस दिवस को मनाया जा रहा है। पीएम ने बताया कि उनकी सरकार सस्ती दर पर दवा उपलब्ध कराने के प्रयास में है। सरकार ने देश के विभिन्न हिस्सों में जन औषधि केंद्र खोलने के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया है। किफायती दरों पर गुणवत्तापूर्ण दवाइयां उपलब्ध कराने के िये प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना का उद्देश्य किफायती दरों पर गुणवत्तापूर्ण दवाइयां उपलब्ध कराना है।

जन औषधि दिवस पर PM मोदी ने कहा, ‘जन औषधि योजना को देश के कोने-कोने में चलाने वाले और कुछ लाभार्थियों से आज मुझे बात करने का अवसर मिला। ये योजना गरीब और विशेष रूप से मध्यम वर्गीय परिवारों की बहुत बड़ी साथी बन रही है। गरीबों तक सस्ती दवा पहुंच रही है। ‘

पीएम ने संबोधन में कही ये बड़ी बातें –

  • जन औषधि केंद्रों के ज़रिये युवाओं को आय के साधन भी मिल रहे हैं। सिर्फ ढाई रुपये में हमारी बहनों और बेटियों को सैनिटरी पैड उपलब्ध कराए जाते हैं
    जिससे उनके स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर होता है।
  • यह योजना सेवा और रोजगार दोनों का माध्यम बन रही है। करीब 11 करोड़ से ज्यादा सैनिटरी नैपकिन इन केंद्रों पर बिक चुके हैं।
  • 1,000 से ज्यादा जन औषधि केंद्र तो ऐसे हैं, जिन्हें महिलाएं ही चला रही हैं जिससे पता चलता है कि ये योजना बेटियों की आत्मनिर्भरता को भी बल दे रही है
  • इस योजना से पहाड़ी क्षेत्रों में, नॉर्थईस्ट में, जनजातीय क्षेत्रों में रहने वाले देशवासियों तक सस्ती दवा देने में मदद मिल रही है। आज 7,500वें केंद्र का
    लोकार्पण किया गया है तो वो शिलांग में हुआ है। नॉर्थईस्ट में जनऔषधि केंद्रों का कितना विस्तार हो रहा है।
  • 7500 के पड़ाव तक पहुंचना इसलिए भी अहम है, क्योंकि 6 साल पहले देश में ऐसे 100 केंद्र भी नहीं थे। हम जितना जल्दी हो सके, उतना जल्दी 10,000
    का लक्ष्य पूर्ण करना चाहते हैं।
  • इस योजना से फार्मा सेक्टर में संभावनाओं का एक नया आयाम भी खुला है।आज मेड इन इंडिया दवाइयां और सर्जिकल्स की मांग भी बढ़ी हैं। मांग बढ़ने से
    उत्पादकता भी बढ़ी है, जिससे बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर उत्पन्न हो रहे हैं।
  • आज मोटे अनाजों को ना सिर्फ प्रोत्साहित किया जा रहा है, बल्कि अब भारत की पहल पर संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को International Year of Millets भी घोषित किया है। Millets पर फोकस से देश को पौष्टिक अन्न भी मिलेगा और हमारे किसानों की आय भी बढ़ेगी।
  • बीते सालों में इलाज में आने वाले हर तरह के भेदभाव को समाप्त करने का प्रयास किया गया है, इलाज को हर गरीब तक पहुंचाया गया है। जरूरी दवाओं
    को, हार्ट स्टेंट्स को, नी सर्जरी से जुड़े उपकरणों की कीमत को कई गुना कम कर दिया गया है।
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