चुनाव से पहले नीतीश कुमार ने किया ये बड़ा एलान, इन्हें मिलेगी नौकरी

पटना: देश में कोरोना का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है। वहीं राजनीतिक पार्टियां बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियां शुरु कर दी है। इस बार चुनाव से पहले सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़ा दलित कार्ड खेल दिया है। नीतीश कुमार ने फैसला लिया है कि अगर अनुसूचित जाति-जनजाति की हत्या होती है तो पीड़ित परिवार के किसी एक सदस्य को नौकरी दी जाए। उन्होंने अधिकारियों को ऐसा प्रावधान बनाने का निर्देश दिया है।

सीएम नीतीश कुमार ने अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत सतर्कता मीटिंग में यह आदेश दिया। सीएम के आदेश के मुताबिक, अगर एससी-एसटी परिवार के किसी सदस्य की हत्या होती है तो उस स्थिति में पीड़ित परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का प्रावधान किया जाए। सीएम नीतीश ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि तत्काल इसके लिए नियम बनाएं, ताकि पीड़ित परिवार को फायदा दिया जा सके।

2011 की जनगणना के मुताबिक बिहार में दलित जातियों की 16 फीसदी हिस्सा है। 2005 में नीतीश कुमार की सरकार ने 22 में से 21 दलित जातियों को महादलित की श्रेणी में शामिल कर दिया था। इसके बाद 2018 में पासवान भी महादलित वर्ग में आने लगे है। अगर देखा जाए तो बिहार में अब दलित की जगह महादलित जातियां हो गई हैं।

बिहार में 16 प्रतिशत दलितों में अधिक मुसहर, रविदास और पासवान समाज की भागीदारी है। इस समय 5 प्रतिशत से ज्यादा मुसहर, चार प्रतिशत रविदास और साढ़े तीन प्रतिशत से ज्यादा पासवान जाति के लोग हैं। इनके अलावा धोबी, पासी, गोड़ आदि जातियों का भी भागीदारी ठीक ठाक है।

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