जानिए क्यों इस मंदिर में चढाई जाती है, चप्पलो की माला…

आजतक तो हम मंदिर के आगे अपनी चप्पलें उतार कर जाया करते थे। लेकिन कभी अपने ऐसी मंदिर के बारे में सुना है जिसमे चप्पल उत्तर कर नही, वहां उल्टा चप्पल चढ़ाया जाता है। जी हां ,कर्णाटक के गुलबर्ग जिले में लकम्मा देवी नमक एक मंदिर स्थित है। और यह हर साल चप्पलों का मेला लगता है। जिसमे दूर दूर के गांव से लोग माता रानी को चप्पल चढ़ाने आते है।

मंदिर में चढाई जाती है, चप्पलो की माला

इस फेस्टिवल में प्रमुख रूप से गोला गांव के लोग बढ़-चढक़र हिस्सा लेते हैं।

यह फेस्टिवल अजीबोगरीब रिवाजों के कारण पूरे देश भर में मशहूर है।

आपको जानकारी दें कि हर साल यह फेस्टिवल दिवाली के छठे दिन आयोजित किया जाता है।

लोग मन्नत मांगते हैं उसे उसके पूरा होने के लिए मंदिर के बाहर के एक पेड़ पर आकर पूरी भाव भक्ति से चप्पलें टांगते हैं।

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इतना ही नहीं लोग इस दौरान भगवान को शाकाहारी और मांसाहारी भोजन का भोग भी लगाते हैं।

स्थानीय लोगों का मानना है कि इस तरह चप्पल चढ़ाने से ईश्वर उनकी बुरी शक्तियों से रक्षा करते हैं।

मान्यता ये भी है कि इससे पैरों और घुटनों का दर्द हमेशा के लिए दूर हो जाता है। इस मंदिर में हिन्दू ही नहीं बल्कि मुसलमान भी आते हैं। इस मंदिर की ये भी मान्याता है कि माता भक्तों की चढ़ाई गई चप्पलों को पहनकर रात में घूमती हैं और उनकी रक्षा करती हैं।

 

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