चंद्रयान – 2 : 22 जुलाई को ISRO की लॉन्चिंग , जानिए कितना LUCKY हैं जुलाई…

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का दूसरा मून मिशन Chandrayaan-2 आज यानी 22 जुलाई को दोपहर 2.43 बजे देश के सबसे ताकतवर बाहुबली रॉकेट GSLV-MK3 से लॉन्च किया जाएगा. आज से ठीक 31 साल पहले इसी तारीख को हुई लॉन्चिंग पूरी तरह से सफल नहीं हो पाई थी.

 

 

बतादें की इसरो चीफ डॉ. के. सिवन ने कुछ महीने पहले बोला था कि अब इसरो हर साल 10 से 12 लॉन्चिंग करेगा. यानी हर महीने एक लॉन्चिंग होगी. जहां लॉन्चिंग की सफलता और असफलता के पीछे कई कारण हो सकते हैं. इसमें मौसम, तकनीकी वजहें आदि शामिल हैं.

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देखा इसरो ने अब तक अंतरिक्ष में कुल 370 उपग्रह छोड़े हैं. इनमें 101 देसी और 269 विदेशी सैटेलाइट शामिल हैं. मून मिशन चंद्रयान-2 अगर सफल होता है तो इनकी संख्या बढ़कर 371 हो जाएगी. इसरो ने देश के लिए कुल 101 सैटेलाइट लॉन्च किए हैं. जिनमें संचार, आपदा प्रबंधन, इंटरनेट, रक्षा, मौसम और शिक्षा जैसे विभिन्न क्षेत्रों को सेवाएं देने वाले उपग्रह हैं.

वहीं चंद्रयान-2 आज दोपहर 2.43 बजे छोड़ा जाएगा. इससे ठीक 31 साल पहले इसरो के INSAT-1C की लॉन्चिंग 22 जुलाई 1988 को की गई थी. इनसैट-1सी को कोराऊ स्थित यूरोपियन लॉन्च पैड से एरियन-3 रॉकेट के जरिए छोड़ा गया. लेकिन मिशन पूरी तरह सफल नहीं हो पाया. इनसैट-1सी के संचार संबंधी 12 सी-बैंड ट्रांसपोंडर्स में से 6 ही काम कर पाए.

खबरों के मुतबिक 2 एस-बैंड ट्रांसपोंडर्स ने काम ही नहीं किया. लेकिन इसरो को मौसम संबंधी तस्वीरे कई सालों तक मिलती रहीं. 1. इन 5 महीनों में मिली है इसरो को 100 फीसदी सफलता

जनवरी, फरवरी, मई, अक्टूबर और नवंबर में लॉन्चिंग करने पर इसरो को 100 फीसदी सफलता मिलती है. इसरो ने 44 साल में यानी 1975 से अब तक अलग-अलग वर्षों में जनवरी महीने में 9 स्पेसक्राफ्ट मिशन किए, सभी सफल रहे. इसी तरह फरवरी में 5, मई में 10, अक्टूबर में 7 और नवंबर में 5. ये सभी 100 फीसदी सफल रहे.

इसरो ने 1975 से अब तक जुलाई महीने में 10 और अगस्त में 6 लॉन्चिंग की है. जुलाई महीने में तीन लॉन्चिंग फेल हुई थी. पहली- 10 जुलाई 2006 को इनसैट-4सी, दूसरी – 22 जुलाई 1988 को इनसैट-1सी और तीसरी – 13 जुलाई 1988 को एसआरओएसएस की लॉन्चिंग फेल हो गई थी. यानी सक्सेट सबसे कम 57.15% रहा है. अगस्त में अब तक 6 लॉन्चिंग हुई है. पहली विफलता 10 अगस्त 1979 को और दूसरी 31 अगस्त 2017 को मिली. यानी सक्सेस रेट 66.67 फीसदी रहा.

इसरो के वैज्ञानिकों में आजादी के बाद से अब तक संचार व्यवस्था को लेकर 41 उपग्रह छोड़े. जिनमें से अभी 15 काम कर रहे हैं. ये 15 सैटेलाइट हैं- INSAT-3A, 3C, 4A, 4B, 4CR और इसी प्रणाली के अंदर आने वाले GSAT-6, 7, 8, 9, 10, 12, 14, 15, 16 और 18. ये सभी सैटेलाइट 200 ट्रांसपोंडर्स की मदद से टेलीफोन, मोबाइल, टीवी, समाचार, आपदा प्रबंधन, मौसम पूर्वानुमान जैसे कार्यों में मदद कर रहे हैं. यही नहीं, हाल ही में ओडिशा में आए चक्रवाती तूफान की निगरानी के लिए इसरो ने पांच उपग्रह लगाए थे. तभी लाखों लोगों की जान बचाई जा सकी.

दरअसल इसरो वैज्ञानिक रिमोट सेंसिंग, वातावरणीय, पेलोड डेवलपमेंट, रिकवरी टेक्नोलॉजी समेत कई आयामों पर अध्ययन करने के लिए प्रायोगिक उपग्रह लॉन्च किए हैं.

जहां इनमें शामिल हैं – भारता का पहला उपग्रह आर्यभट्ट, रोहिणी (फेल हो गया था), रोहिणी RS-1, एपल, यूथसेट, आईएनएस-1बी, आईएनएस-1ए और आईएनएस-1सी.

 

 

 

 

 

 

 

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