ग्राहकों पर कब्जे की होड़ में धड़ाधड़ हो रहे मर्जर, फिर भी सब कह रहे ‘जियो’ राजा

‘जियो’ राजामुंबई। रिलायंश जियो के मार्केट में आने से ग्राहकों पर कब्जे की होड़ और इसके फ्री ऑफर ने कई कंपनियों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया है। रूसी मूल की कंपनी एमटीएस को मुकेश अंबानी ने टेकओवर कर बाजार में अपना विस्‍तार किया। इस विस्‍तार के बाद मोबाइल नेटवर्क के बाजार में जो खेल शुरू हुआ है उससे बड़े बड़े दिग्‍गज हिल गए हैं। खुद सरकारी क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी को अपनी सुस्‍ती छोड़ फुर्ती दिखाने के लिए मजबूर होना पड़ा है और उसे भी कई तरह के लुभावने प्‍लान ग्राहकों के लिए बाजार में उतारने पड़े हैं।

इसे जियो का ही साइड इफेक्‍ट कहा जाए कि वहीं देश की सबसे बड़ी दूरसंचार प्रदाता कंपनी भारती एयरटेल टेलीनॉर (इंडिया) को खरीदने के लिए एक समझौता किया है। कंपनी ने एक बयान में कहा कि भारती एयरटेल ने टेलीनॉर (इंडिया) कम्युनिकेशंस प्राइवेट लिमिटेड को खरीदने के लिए टेलीनॉर साउथ एशिया इन्वेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ समझौता किया है। इसी तरह ब्रिट्रिश मूल की वोडाफोन्‍स और आदित्‍य बिरला समूह की कंपनी आइडिया को भी अपने ग्राहकों को जोड़े रखने के लिए एक होना पड़ रहा है। दूरसंचार क्षेत्र में इन बड़ी कंपनियों पर नजर डाली जाए तो रिलायंश जियो आने के बाद करीब 170 दिन तक इसके फ्री वाइस कॉलिंग और फ्री डाटा से बाजार में ग्राहक तेजी से रिलायंश जियो से जुड़ने लगे। इससे सरकार को स्‍पेक्‍ट्रम फीस के रूप में ही करीब 685 करोड़ की मोटी धनराशि का नुकसान उठाना पड़ा है।

ग्राहको की रही मौज

तेजी से रिलायंश से जुड़ते ग्राहकों को देखते हुए बाजार की अन्‍य मोबाइल और डाटा कंपिनयों को भी अपनी रणनीति बदलने पर मजबूर होना पड़ा। वोडाफोन और आइडिया के विलय का सीधा सा कारण था। दोनों कंपनियों के विलय के बाद उनका कुल बाजारी कारोबार में 43 फीसदी हिस्‍सा हो जाएगा। जो अभी तक की सबसे बड़ी कंपनी भारतीय एयरटेल के 33 फीसदी मार्केट शेयर से अधिक हो जाएगा। वहीं सारी कवायद करने के बाद भी अभी रिलायंश जियो भारतीय टेलीकॉम मार्केट का 13 फीसद शेयर 2019 तक पाने का लक्ष्‍य साध रही है। ऐसे में कंपनियों ने अपने ग्राहकों को बनाए रखने के लिए कई तरह के अनलिमिटेड कॉलिंग प्‍लान और कंडीशन के साथ फ्री डाटा की पेशकश की है। पहले की अपेक्षा अब करीब आधे से कम खर्च में ग्राहकों के लिए अन्‍य कंपनियों के प्‍लान बाजार में आ चुके हैं। इस व्‍यवसायिकता की अंधी दौड़ में अगर सबसे अधिक किसी को फायदा हुआ है तो वह है ग्राहक।

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