गुरू पूर्णिमा के मौके पर पांचाल घाट पर श्रद्धालुओं ने लगाई गंगा में आस्था की डुबकी

रिपोर्ट- दिलीप कटियार/FARRUKHABAD

किसी भी व्यक्ति की सफलता के पीछे सबसे बड़ा हाथ उसके गुरु का होता है। जीवन में किसी भी कार्य को करने से पहले उसे सीखना पड़ता है और सिखाने वाला व्यक्ति ही गुरु होता है। गुरु किसी भी रूप में हो सकता है।

वह आपके माता-पिता या कोई संबंधी भी हो सकते हैं। हिन्दू धर्म में गुरु को सर्वोपरी माना गया है। इसी वजह से गुरु पूर्णिमा के दिन पूजा अर्चना का प्रावधान रखा गया है। गुरु का महत्व अध्यात्म में सर्वोपरि माना गया है।

आस्था की डुबकी

गुरु अपने शिष्य को हर परिस्थिति के लिए तैयार करता है। सभी धर्मों में गुरु को अलग-अलग तरह से महत्व मिला है। वो लोग बहुत ही भाग्यशाली होते हैं जिन्हें गुरु से दीक्षा मिलती है।

गुरू पूर्णिमा के मौके पर पांचाल घाट पर हजारों श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई। सुबह से ही गंगा स्नान शुरू हो गया । दूर-दराज से चलकर आने वाले श्रद्धालुओं का दिनभर तांता लगा रहा। इस दौरान हर हर गंगे के जयघोष से गंगा के सारे घाट गूंजते रहे। स्नान करने के बाद श्रद्धालुओं ने बड़े ही विधि विधान से मां गंगा का पूजन अर्चन किया।

इस दौरान धूप, दीप, अक्षत, रोली, चंदन, पुष्प, दूध, दही, शहद, घृत व नैवेद्य समर्पित कर लोगों ने मां गंगा से सुख और समृद्धि की कामना की।
स्नान के दौरान श्रंगीरामपुर घाट, किला घाट, रानी घाट, बरगदिया घाट, ढाईघाट समेत लगभग पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिली।

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विधि विधान से श्रद्धालुओं को पूजन अर्चन कराने वाले आचार्यो ने बताया कि गुरू पूर्णिमा स्नान का विशेष महत्व होता है। इस दिन गंगा स्नान करने वाले भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते है। उन्हें सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

उन्होंने बताया कि पूर्णमासी के दिन भगवान सत्यनारायण की कथा सुनने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।गुरु पूर्णिमा के अवसर पर नगर के विद्यालयों से लेकर कोचिंगों तक में विद्यार्थियों ने अपने गुरुजनों को पेन व अन्य तोहफे भेंट कर मुंह मीठा कराकर आशीर्वाद प्राप्त किया।

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