गरीब बच्चों को प्रवेश देने से बच रहें हैं निजी स्कूल, सरकार के आदेश को बताया धता

REPORT- संजय मणि त्रिपाठी/मुरादाबाद

देश में गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार अधिनियम एक वरदान की तरह है, लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारियों की लाहपरवाही के चलते निजी स्कूल मनमानी पर उतारू हैं.

शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत हर निजी स्कूल में पच्चीस फीसदी सीटें गरीब परिवारों के बच्चों के लिए आरक्षित की जाती हैं.

निजी स्कूल

शिक्षा विभाग के अधिकारियों के गैर जिम्मेदाराना रुख के चलते निजी स्कूल गरीब बच्चों को प्रवेश देने से बच रहें हैं.

उत्तर प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष के मुताबिक उनके पास सैकड़ों शिकायते पहुंच रहीं हैं! ज्यादातर मामलों में शिक्षा विभाग का रवैया नकारात्मक नजर आया है.

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उत्तर प्रदेश से उन तक पहुंच रहीं शिकायतों से वह शासन को अवगत कराते रहते हैं,और खुद भी कई मामलों की जांच करते हैं!कई बार मांगने के बाद भी जनपद के बीएसए अभी तक उन्हें बच्चों के एडमिशन की सूची नहीं दे पाए है!

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