गजानन बनने के बाद जानिए कहां गया भगवान गणेश का मुख

भगवान गणेश की पूजा सभी देवताओं से पहले की जाती है. उनकी पूजा के बिना सभी कार्य अधूरे होते हैं. गणेश जी के अनेकों नाम हैं. गजबदन विनायक, गजमुख, गजानन जैसे नामों में गज का जिक्र आता है. यह तो आप भी जानते होंगे कि कैसे उन्हें यह हाथी का मुख लगा. लेकिन उनका असली मुख कहां गया क्या आप जानते हैं. आइए जानते हैं कहां गया आखिर भगवान गणेश का असली मुख.

भगवान गणेश

मान्यताओं के अनुसार गणेश का असली मस्तक गंगा, मोक्षमंडल और चंद्रलोक में समाहित है, इसी कारण गणेशजी को यह तीनों नाम “गांगेय” “धूम्रकेतु” व “भालचंद्र” प्राप्त हुए. गणेश चतुर्थी पर चंद्रदेव को अर्घ्य देकर श्री गणपति की उपासना द्वारा संकटनाश किया जाता है. वहीं एक और मान्यता है, जिसके अनुसार भगवान शिव ने श्री गणेश के धड़ से अलग हुए मुख को एक गुफा में रख दिया. इस गुफा को पातालभुवनेश्वर गुफा मंदिर के नाम से जाना जाता है. यहां मौजूद भगवान गणेश की मूर्ति को आदिगणेश कहा जाता है.

यह पाताल भुवनेश्वर गुफा उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में 180 किमी की दूरी पर गंगोलीहाट में स्थित है. पातल भुवनेश्वर में कई गुफायों का संग्रह है, ये गुफएं 160 मीटर लम्बी और 90 फीट गहरी है. अब ये गुफाएं भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा सरंक्षित हैं.

इस गुफा में भगवान गणपति की शिलारूपी मूर्ति के ऊपर 108 पंखुड़ियों वाला ब्रह्मकमल के रूप में एक चट्टान है, जिससे इस मूर्ति के ऊपर पानी टपकता है.

ऐसी मान्यता है कि इस गुफा में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास है. यहां का मौसम बेहद सुहावना रहता है. देवदार और ओक के पेड़ से बने जंगल इस जगह को भी खूबसूरत बनाते हैं. यहां स्थित पंचचुली चोटी से उगते और डूबते हुए सूरज के मनोरम नजारे भी देखे जा सकते हैं.

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