इस बार का गंगा दशहरा है बेहद खास, इस बार बन रहा है ऐसा संयोग

इस बार गंगा दशहरे पर पूर दस योग पड़ रहे हैं और सोमवती अमावस्या पर एक ही दिन छह पर्व हैं। सोमवती अमावस्या का पर्व आने वाले सोमवार को है। सोमवती को स्नान करने वाले श्रद्धालुओं का यहां पहुंचना शुरू हो गया है। इस बार गंगा दशहरा 12 जून को पड़ रहा है।

गंगा दशहरा

श्रद्धालुओं की यह भीड़ गंगा दशहरे के बाद ज्येष्ठ पूर्णिमा तक रहेगी। सोमवती अमावस्या पर रोहिणी व्रत, शनैश्चर जयंती, वट सावित्री व्रत, बड़मावस और भावुका अमावस्या के संयुक्त पर्व हैं। अमावस्या यूं तो प्रत्येक महीने आती है। पर इस बार की अमावस्या इन संयोगों के साथ-साथ कुछ नए संयोग योग भी लाएगी।

सोमवती का स्नान प्रमान योग में पड़ेगा और रोहिणी नक्षत्र होगा। इस दिन चंद्रमा वृष राशि में प्रवेश करेंगे। गौरतलब है कि सूर्य देव पहले ही एक महीने के लिए वृष में आ गए हैं। इस प्रकार सूर्य और चंद्र के सोमवती के दिन एक ही राशि में होने का प्रभाव ज्योतिष की दृष्टि से बहुत पवित्र माना जाता है।

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इस दिन छह योगों के अलावा रोहिणी का अपना जन्म दिवस भी है। इसलिए अध्यात्मिक जानकारी रोहितणी व्रत रखते हैं। यह व्रत कल्याणकारी है। इसका प्रभाव गुरुवार को अपरा एकादशी के साथ शुरू हो जाएगा। ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष में पड़ने वाला गंगा दशहरा इस वर्ष कई योग लेकर आ रहा है।

वास्तव में गंगा दशहरे के लिए गंगा शिव की जटाओं से निकलकर हरिद्वार पहुंची थी। इस दिन स्नान का पहला पर्व हरिद्वार में मनाया जाता है। हरिद्वार से निकलकर गंगा जिन-जिन तीर्थों पर जाती उन सभी में गंगा अवतरण दिवस और अगले दिन निर्जला एकादशी का पर्व मनाया जाएगा। गंगा दशहरे के दिन सभी दस योग सदा नहीं मिलते।

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ऐसा बहुत कम होता है, प्राय: पांच से आठ योग तक मिला करते हैं। इस बार गंगा का अवतरण दिवस सभी पुण्य योगों के साथ मनाया जाएगा। उस दिन आनंद देने वाला आनंद योग भी संपूर्ण धरती को कष्टों से मुक्ति दिलाएगा। सोमवती और गंगा दशहरे तक गंगा नदी में स्नान का भारी महत्व है। मान्यता है कि इन दानों पर्वों पर गंगा स्नान करने से चंद्रमा से बरसने वाली सोमवृष्टि सहज प्राप्त हो जाती है।

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