खो गया ‘शिमला मिर्च’ का तीखापन, नहीं चला हेमा का जादू

मुबंईः हिंदी सिनेमा के हस्ताक्षर नामों में से एक रमेश सिप्पी की सालों बाद बतौर डायरेक्टर इस फिल्म से वापसी हो रही है। उनके चाहने वालों को इस फिल्म से उम्मीदें थीं, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। फिल्म के टाइटल के अनुसार यह तीखी तो बिल्कुल नहीं है । यह बिलकुल नहीं लगता अपने जमाने में एक से बढ़कर एक फिल्म बनाने वाले सिप्पी ने इसे डायरेक्ट की है।

वह भी तब, जब इस फिल्म में उनकी फेवरेट हेमा मालिनी मौजूद हैं। इस फिल्म में राजकुमार राव और रकुल प्रीत सिंह की जोड़ी ने एक साथ काम किया है।

हेमा मालिनी और रमेश सिप्पी ने ‘शोले’ से लेकर सीता और गीता’ जैसी दिलचस्प और मजबूत किरदार वाली फिल्में दी हैं। शिमला मिर्च मूल रूप से कॉमेडी फिल्म है। इसमें हेमा मालिनी रुक्मिणी की भूमिका में है, जो थोड़ी भी सी इंप्रेसिव नहीं है। वह अपनी बेटी नैना के उम्र के लड़के अभी के प्यार में पड़ी है।

तिलक से तलाक की दहलीज पर खड़ी रुक्मिणी की बेटी नैना अपनी मां की जिंदगी में खुशी के रंग भरना चाहती है। यह रंग वह अभि के प्यार के तौर पर भरना चाहती है, जो नैना की उम्र का है। नैना से प्यार करता है, मगर इजहार नहीं कर पा रहा। वह जो कुछ कहना भी चाह रहा है उसे नैना समझ नहीं पा रही है । अभि को दिल दे चुकी रुक्मिणी फिर सबके जीवन में क्या रंग भरती है।

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रमेश सिप्पी ने इस फिल्म में एक भी किरदार दिलचस्प नहीं बन पाए हैं। कहानियों में किरदारों की वाकपटुता की दरकार होती है। बुजुर्गों को अपने बच्चों की उम्र से प्यार में पड़ने की ठोस वजह होनी जरूरी होती है। कॉमेडी से हंसी की अंतहीन परिस्थितियां पैदा करना पड़ता है। इन सबसे यह फिल्म कोसों दूर है के जज्बात तक सही से कैप्चर नहीं हुए हैं। यह खुमारी में बनी हुई फिल्म साबित हुई है।

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