क्या सपा-बसपा गठबंधन मोदी लहर पर पड़ेगा भारी या काम करेगा मोदी का कोई मैजिक!
2014 के लोकसभा चुनाव में जब भारतीय जनता पार्टी ने नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा तो पार्टी को देश की ऐसी तमाम सीटों पर जीत मिली, जहां उसने पहले कभी विजय प्राप्त नहीं की थी. ऐसी ही एक लोकसभा सीट है पश्चिम उत्तर प्रदेश की मुरादाबाद, जो कांग्रेस व समाजवादी पार्टी का गढ़ रही है. लेकिन मोदी लहर में इस मुस्लिम बाहुल्य सीट पर भी भगवा रंग चढ़ गया. अब गठबंधन से मुकाबला लड़ रही बीजेपी के सामने 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट को बचाने की चुनौती है और इसी कड़ी में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं यहां जनसभा करने जा रहे हैं.
मुरादाबाद उन सीटों में शुमार है, जहां गठबंधन के साथ ही कांग्रेस ने भी अपना मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में उतारा है. ऐसे में यह देखना भी दिलचस्प होगा कि पीएम मोदी अपनी जनसभा में क्या रुख अपनाते हैं. ऐसा इसलिए भी क्योंकि मुरादाबाद लोकसभा क्षेत्र में सत्ता की चाबी मुस्लिम वोटरों के हाथ में मानी जाती है.
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सीट का समीकरण
इस लोकसभा सीट पर करीब 52.14% हिंदू और 47.12% मुस्लिम जनसंख्या है. मुरादाबाद शहर में ही मुस्लिम आबादी का बड़ा प्रभाव है, जहां दो विधानसभा हैं. इसके अलावा इस सीट के अंतर्गत आने वाली बिजनौर जिले की बढ़ापुर विधानसभा सीट पर मुस्लिम वोटरों का खासा प्रभाव है. मुस्लिम वोटरों का असर 2017 के विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिला था, जब बीजेपी की एकतरफा जीत के बावजूद मुरादाबाद ग्रामीण व ठाकुरद्वारा सीट पर समाजवादी पार्टी ने जीत दर्ज की थी. इसके अलावा यहां की बाकी सीटों पर भी बीजेपी की जीत का अंतर काफी कम रहा था. यही वजह रही है कि बीजेपी का इस सीट पर जीत हासिल करने हमेशा से चुनौतीपूर्ण रहा है.
लेकिन 2014 में मोदी लहर के बीच यहां के स्थानीय कद्दावर नेता कुंवर सर्वेश सिंह ने बाजी मारते हुए इतिहास रचा था, जो मुरादाबाद लोकसभा सीट पर बीजेपी की पहली जीत थी. इससे पहले हालांकि, दो बार (1967 व 1971) भारतीय जनसंघ को जरूर यहां से जीत मिली, लेकिन 1952 के बाद से अधिकतर चुनाव में यह सीट वैचारिक तौर पर बीजेपी के विरोधी दलों के खाते में जाती रही है, खासकर समाजवादी पार्टी की स्थिति यहां काफी मजबूत रही है.