क्या ये है BJP का सियासी दांव? दलित चेहरे थावरचंद गहलोत को दी अरुण जेटली वाली कुर्सी !

भारतीय जनता पार्टी ने राज्यसभा में नेता सदन पद पर भी सोशल इंजीनियरिंग का दांव खेला है. ऐसा माना जा रहा है कि भाजपा ने सियासी दांव चलते हुए दलित चेहरे थावरचंद गहलोत को अरुण जेटली वाली कुर्सी दी है.

इसके जरिए बीजेपी ने बड़ा सियासी और सामाजिक संदेश दिया है. 71 वर्षीय थावरचंद गहलोत इस बार भी मोदी सरकार में बतौर कैबिनेट मंत्री सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.

इससे पहले अरुण जेटली बीजेपी की ओर से नेता सदन की कमान संभालते थे. मगर खराब स्वास्थ्य के कारण जेटली ने इस बार पीएम मोदी को पत्र लिखकर सरकार में किसी तरह की जिम्मेदारी न देने का अनुरोध किया था.

बीजेपी दलितों के बीच लगातार पैठ बनाने में जुटी है. इससे पूर्व राष्ट्रपति पद पर रामनाथ कोविंद की नियुक्ति को भी बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंग से जोड़कर देखा गया था.

 

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सूत्र बता रहे हैं कि पिछली सरकार में जिस तरह से दलित उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओं को लेकर विपक्ष हमला साधता था, उसके बाद से बीजेपी दलित चेहरों को आगे बढ़ाकर विपक्ष को माकूल जवाब देने की कोशिश में जुटी है. थावरचंद गहलोत की नियुक्ति इसी कड़ी का हिस्सा है.

गहलोत ने पिछली सरकार में पिछड़ों, वंचित तबकों और दिव्यांगों के लिए कई योजनाओं का खाका तैयार किया था. जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार उन्हें इसी मंत्रालय का कैबिनेट मंत्री बनाया.

सूत्र बताते हैं कि थावरचंद गहलोत पीएम मोदी की गुडलिस्ट में शुमार मंत्रियों में से एक हैं. भरोसे का ही प्रतीक है कि उन्हें पार्टी की ओर से गुजरात का केंद्रीय ऑब्जर्वर नियुक्त किया जा चुका है.

उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय से बीए पास थावरचंद गहलोत का जन्म 18 मई 1948 को मध्य प्रदेश के रुपेटा (नागदा) गांव में हुआ.

1996 से 2009 के दौरान शाजापुर सीट से वह लोकसभा सांसद रहे. 2009 में उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी सज्जन सिंह वर्मा से हार मिली थी.

2012 में थावरचंद गहलोत को बीजेपी ने राज्यसभा भेजा. 2018 में उन्हें दोबारा राज्यसभा सदस्य चुना गया है. वह 2024 तक राज्यसभा सांसद रहेंगे.

 

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