क्या पंजाब चुनाव में रंग दिखा पाएगी BSP-SAD की युगलबंदी

उत्तर प्रदेश के साथ-साथ पंजाब में भी 2022 को विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में सभी राजनीतिक दलों ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी है। इसी बीच चुनाव को लेकर पंजाब में एक बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम हुआ है। वर्षों तक भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाले शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने इस बार बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन किया है। इसमें विधानसभा की 117 सीटों पर शिअद और बसपा एक साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे।

बता दें कि बसपा राज्य में विधानसभा चुनाव लड़ती आई है लेकिन मायावती की इस पार्टी ने अपने प्रदर्शन से राज्य की राजनीति पर प्रभाव छोड़ने में सफल नहीं हो पाई है। साल 1997 के विधानसभा चुनाव में बसपा का वोट प्रतिशत 13.28 प्रतिशत था। राज्य में दलितों की आबादी करीब 32 प्रतिशत है।

वहीं इस राज्य में दलितों की सबसे ज्यादा आबादी बताई जाती है। बसपा के संस्थापक कांशीराम भी इसी राज्य से थे। लेकिन उनके निधन के बाद बसपा दिनोंदिन कमजोर होती गई। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज्य में दलितों का वोट बैंक बंटा हुआ है, वे किसी एक पार्टी को वोट नहीं करते। बसपा के साथ गठबंधन कर शिअद ग्रामीण इलाकों में अपनी पकड़ और पहुंच दोनों मजबूत करना चाहता है।

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