कोरोना पर स्टडी में हुआ खुलासा, इस वजह से पड़ रही है दूसरी लहर में ऑक्‍सीजन की जरूरत

एक नई स्टडी में यह साफ़ हो गया कि क्यों कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की इतनी मारा मारी हो रही है। इस स्टडी के मुताबिक़ कोरोना का संक्रमण सरफेस बजाए हवा से ज्यादा फैलता है। ऐसे में मास्क लगाने और बंद जगहों पर कम रहने पर ज़्यादा ज़ोर डाला जा रहा है। अस्पतालों में भर्ती मरीज़ों पर की गई स्टडी के मुताबिक, कोरोना संक्रमण की जो दूसरी लेहेर आई है, उसमें मरीजों को ऑक्सीजन की ज्यादा जरूरत पड़ रही है। स्टडी में पाया गया है कि पहली लहर में 30 साल से कम उम्र के 31% लोग संक्रमित हुए थे जबकि दूसरी लहर में 30 साल से कम लोग 32 फीसदी संक्रमित हुए हैं। इसी तरह 30-40 साल के उम्र के लोग पहली लहर में 21% और इस बार भी 21 % ही संक्रमित हुए हैं।

Remdesivir को लेकर एम्‍स के डायरेक्‍टर, डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा कि यह ‘मैजिक बुलेट’ नहीं है। यह मृत्युदर को कम नही करता। अस्पताल में भर्ती मरीजों को ही देना ठीक है जो मोडरेट और गंभीर हैं और जिनका ऑक्सीजन सेचुरेशन गिर रहा है। इसे शुरू के दिनों में नहीं, 5 से 7 दिनों में देना चाहिए। शुरू में देंगे तो मृत्यु को बढ़ाता है।

नीति आयोग के सदस्‍य वीके पॉल ने कहा कि Remdesivir केमिस्ट के पास नही मिलनी चाहिए, यह अस्पतालों में मिलनी चाहिए। उन्‍होंने भी कहा कि इसे घर पर नही देना है। इससे रिकवरी जल्दी होती है लेकिन Remdesivir कब देना है ये डॉक्टर तय करेंगे। प्‍लाज्‍मा के बारे में उन्‍होंने कहा कि इसका लिमिटेड रोल है। Tosilizumab का भी लिमिटेड रोल है। यह गंभीर मरीजों को देना चाहिए। माइल्ड और एसिम्प्टोमेटिक मरीज बिना दवा के भीठीक हो सकते हैं। Febipirveer को लेकर उन्‍होंने कहा कि इसे लेकर अभी पुख्ता प्रमाण लिमिटेड हैं।

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