कॉल ड्रॉप पर ट्राई इसी माह शुरू करेगा जांच

कॉल ड्रॉपनई दिल्ली| दूरसंचार नियामक ट्राई इसी महीने से मोबाइल ऑपरेटरों की सेवा गुणवत्ता और कॉल ड्रॉप मामलों की स्वतंत्र तौर पर जांच की शुरुआत कर सकता है। नियामक और दूरसंचार विभाग (डॉट) दोनों ही कॉल ड्रॉप और कॉल विफलता जैसे सेवा गुणवत्ता से जुड़े मुद्दों पर पैनी नजर रख रहे हैं। टेलीकॉम कंपनियां अपनी प्रदर्शन निगरानी रिपोर्ट को नियमित रूप से ट्राई को सौंपती हैं। नियामक भी स्वतंत्र एजेंसियों के जरिये सेवा गुणवत्ता का आकलन और उसका ऑडिट भी करता है।

यह काम पांच माह से अधिक के अंतराल के बाद फिर से शुरू होगा। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के चेयरमैन आरएस शर्मा ने कहा कि स्वतंत्र रूप से परीक्षण का काम जल्द शुरू होने जा रहा है। असल में, इसमें दिक्कत के चलते कुछ अंतराल आ गया था। अब इसे दूर कर लिया गया है। संभवत वे मई में ही इसकी शुरुआत कर लेंगे।

एजेसियों ने मोबाइल ऑपरेटरों के कामकाज का आकलन और ऑडिट करने के लिए देशभर के तमाम शहरों में नमूने के तौर पर ‘ड्राइव टेस्ट’ भी किए हैं। शर्मा ने कहा कि यह स्वतंत्र रूप से किया जाना वाले परीक्षण ऑपरेटरों की मदद से होने वाले टेस्ट से अलग होता है। हम 11-12 शहरों में परीक्षण की शुरुआत कर रहे हैं। इस बार और ज्यादा शहरों में इस परीक्षण को करेंगे। यह कंपनियों की सहायता से होने वाले परीक्षण से अलग होगा।

हालांकि इस परीक्षण में भी कॉल ड्रॉप के स्तर और वॉयस क्वॉलिटी की निगरानी के लिए ट्राई के स्वतंत्र ड्राइव टेस्ट की तरह रीयल टाइम डाटा को ही कैप्चर किया जाता है। स्वतंत्र या ऑपरेटर की सहायता से होने वाले दोनों तरह के ड्राइव टेस्ट कई गुणवत्ता मानकों पर नेटवर्को के परफॉरमेंस का आकलन करते हैं। इन मानकों में कॉल सेटअप सक्सेस रेट, कॉल ड्रॉप, ब्लॉक्ड कॉल और रेडियो फ्रीक्वेंसी कवरेज शामिल हैं।

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