कॉलेज में न हो जाएँ सिर्फ लड़कियां तो कॉलेज ने बढ़ाई एडमिशन कटऑफ ! देखें पूरा मामला…

बोर्ड परीक्षाओं के नतीजे लगभग-लगभग हर जगह आ चुके हैं. अब जो बच्चे 12वीं पास किए हैं, वो कॉलेज में एडमिशन ले रहे हैं.तो वहीं जिन्होंने 10वीं क्लीयर की है, वो 11वीं के लिए दाखिला ले रहे हैं. इन्हीं में से कुछ बच्चे ऐसे हैं जो प्री यूनिवर्सिटी कोर्स में भी दाखिला ले रहे हैं.

प्री यूनिवर्सिटी कोर्स को प्री डिग्री कोर्स भी कहते हैं. शॉर्ट में PUC या PDC. ये इंटरमीडिएट कोर्स होता है, दो साल का. इसे प्लस टू भी कहते हैं.

यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने की इच्छा रखने वाले स्टूडेंट्स जनरली पीयूसी करते हैं. इस कोर्स को यूनिवर्सिटी एजुकेशन के डिग्री ब्रिज कोर्स के तौर पर भी देखा जाता है.

वापस मुद्दे पर आते हैं. तो अभी पीयूसी में एडमिशन की प्रोसेस चल रही है. बेंगलुरू के भी कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज़ड में ये प्रक्रिया चल रही है.

बेंगलुरू में पीयूसी के कई यूनिवर्सिटी और कॉलेज हैं. इनमें से एक है क्राइस्ट यूनिवर्सिटी. अब इस यूनिवर्सिटी ने लड़कियों के लिए लड़कों की तुलना में ज्यादा कटऑफ नंबर रखे हैं.

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हाल ही में यूनिवर्सिटी की दूसरी कटऑफ लिस्ट निकली. जिसमें साइंस स्ट्रीम के लिए लड़कियों के कटऑफ नंबर 93.92% रखे गए, तो वहीं लड़कों के लिए 91.04% कटऑफ रखा गया.

द न्यूज मिनट के मुताबिक, क्राइस्ट यूनिवर्सिटी में, कॉमर्स स्ट्रीम के लिए लड़कियों का कटऑफ 94% रखा गया. वहीं लड़कों का 92%. आर्ट्स स्ट्रीम के लिए- लड़कियों का कटऑफ 89.2% रखा गया, वहीं लड़कों का 84.5%.

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस यूनिवर्सिटी में साइंस स्ट्रीम में एडमिशन लेने की इच्छा रखने वाली एक लड़की के दसवीं में 91.2% आए हैं. लेकिन उसे इस यूनिवर्सिटी में एडमिशन नहीं मिल सका.

क्योंकि लड़कियों का कटऑफ हाई था. उस लड़की का कहना है, ‘ये बहुत ही गलत है. लड़कों के अच्छा प्रदर्शन देने की वजह से लड़कियों को सजा मिल रही है.’

इस यूनिवर्सिटी के वाइस-चांसलर हैं फादर अब्राहम. टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, जब फादर अब्राहम से इस मसले पर सवाल किया गया तब उन्होंने कहा,

‘लड़कियां ज्यादा स्मार्ट हैं. और ये कोई नई बात नहीं है. अगर हम लड़कियों के लिए हाई कटऑफ नहीं रखेंगे, तो फिर इस कॉलेज में लड़कियां ही लड़कियां हो जाएंगी. जेंडर बैलेंस रखने के लिए हाई कटऑफ रखा गया.’

वीसी फादर अब्राहम के इस फैसले के बाद से सोशल मीडिया पर लोग काफी भड़के हुए हैं. लोग सवाल कर रहे हैं कि अगर कॉलेज में लड़कियां ज्यादा हो जाएंगी, तो क्या दिक्कत हो जाएगी.

 

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