केजीएमयू में आग से पांच की मौत, डॉक्टर और प्रशासन का जज्बा काबिले तारीफ

केजीएमयूलखनऊ केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में शनिवार शाम भीषण आग लग गई। खबरों के मुताबिक, आग के कारण बाहर लाए गए पांच मरीजों- अरविंद कुमार गौतम, वसीम, सरस्वती, मुकेश और एक नवजात की मौत हो गई। दूसरे फ्लोर के आपदा प्रबंधन वॉर्ड में शॉर्ट सर्किट से लगी आग ने तीसरे फ्लोर को भी अपनी चपेट में ले लिया।

आग बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड की 10 गाड़ियां मौके पर पहुंचीं, लेकिन पांच घंटे बाद ही आग पर काबू पाया जा सका। ट्रॉमा सेंटर में फायर फाइटिंग के लिए लगी कोई भी मशीन आग लगने के बाद काम नहीं आई न ही कोई फायर अलार्म बजा।

शाम करीब सात बजे ट्रॉमा सेंटर के दूसरे तल पर अचानक लपटें उठने लगीं। इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता धुएं और आग की लपटें तीसरे तल पर पहुंच गईं। कोई अपने मरीज को गोद में लेकर भागा तो कोई कंधे पर उठाकर बाहर आया।

ट्रॉमा के गेट से बाहर आते ही कई मरीजों की हालत बिगड़ने लगी। इनमें ट्रॉमा सेंटर से बाल रोग विभाग में ले जाए गए कई नवजात भी थे। कई परिवारीजनों ने आरोप लगाया कि चौथे तल पर बने एनआईसीयू का नर्सिंग स्टाफ वहां भर्ती नवजातों को अंदर ही छोड़ कर बाहर भाग गया।

डॉक्टरों का जज्बा तारीफ काबिल

यह केजीएमयू के डॉक्टरों का जज्बा ही था कि ट्रॉमा सेंटर में भीषण आग लगने के महज चार घंटे बाद मरीजों का दोबारा इलाज शुरू कर दिया गया। जो मरीज बाहर से आ रहे थे, उन्हें रात करीबन पौने ग्यारह बजे से इलाज मिलने लगा। हालांकि इनमें से ज्यादातर मरीजों को प्राथमिक इलाज के बाद ट्रॉमा सेंटर के पास बने शताब्दी-टू में भेजा जाने लगा। जिन मरीजों की स्थिति गंभीर नहीं थी उन्हें लोहिया अस्पताल, लोहिया संस्थान, सिविल, बलरामपुर और अन्य सरकारी अस्पतालों को भेजा गया।

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