झूठा विज्ञापन देना केजरीवाल को पड़ा महंगा, शिकायत पर पुलिस से रिपोर्ट तलब
नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ आपराधिक शिकायत पर एक स्थानीय अदालत ने मामले में की गई कार्रवाई पर पुलिस से शुक्रवार को रपोर्ट मांगी। केजरीवाल के खिलाफ यह शिकायत जनता को कथित रूप से यह कहकर भ्रमित करने के लिए दायर की गई है कि नगर निगम दिल्ली सरकार के अधीन नहीं आते। मुख्य महानगर दंडाधिकारी मुनीश मरकान ने उत्तर पूर्व दिल्ली स्थित करावल नगर पुलिस थाने को केजरीवाल के खिलाफ एक शिकायत पर एक रपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया और मामले की अगली सुनवाई की तारीख 15 अप्रैल तय कर दी।
अदालत ब्रजेश शुक्ला की ओर से दायर एक शिकायत पर सुनवाई कर रही थी। शुक्ला ने आरोप लगाया है कि दिल्ली सरकार ने 20 समाचार पत्रों में कथित रूप से भ्रामक विज्ञापन दिए, जिनपर 42 लाख रुपये खर्च हुए हैं।
शुक्ला ने कहा है कि झूठ के प्रचार और लोगों को भ्रमित करने के लिए सार्वजनिक धन का अपव्यय किया गया है।
शिकायतकर्ता ने केजरीवाल के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 406 (आपराधिक विश्वासघात) के तहत एक प्राथमिक दर्ज करने के लिए अदालत से निर्देश देने की मांग की है।
शिकायतकर्ता ने कहा है कि अक्टूबर, 2015 में केजरीवाल ने यह कहते हुए समाचारपत्रों को पूरे पृष्ठ का विज्ञापन दिया था, जिसमें कहा गया था कि दिल्ली के नगर निगमों के कर्मचारियों की हड़ताल को लेकर गलतफहमियां थीं और यह कहना गलत था कि निगम दिल्ली सरकार के अधीन हैं।