केंद्र सरकार ने चीन को दिया एक और झटका, किया ये बड़ा फैसला

एप और रंगीन टीवी बैन करने के बाद केंद्र सरकार ने चीन को एक और झटका दिया है। सरकार ने चीन, जापान, कोरिया, ताइवान और वियतनाम से डिजिटल प्रिंटिंग प्लेट के आयात पर पांच साल तक एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाने का फैसला किया है।

यह फैसला घरेलू निर्माताओं को बढ़ावा देने के मद्देनजर किया गया है, जो इन देशों से सस्ते आयात के चलते ऐसी प्लेटें बनाने में मात खा जाते थे। इसके अलावा चीन से आयात होने वाले कपडे़ रंगने वाले और प्रिंटिंग के क्षेत्र में इस्तेमाल किए जाने वाले रसायन एनीलाइन (रंगहीन तैलीय तरल पदार्थ) पर भी 150.80 डॉलर प्रति टन के हिसाब से छह महीने के लिए एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाई गई है।
वाणिज्य मंत्रालय की जांच करने वाली शाखा व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) ने जांच में पाया कि इन देशों से बड़ी मात्रा में डिजिटल ऑफसेट प्रिंटिंग प्लेटें आ रही थीं। डीजीटीआर ने प्रिंटिंग इंडस्ट्री के इस्तेमाल में आने वाली इन प्लेटों पर एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाने की सिफारिश की।
इसके बाद राजस्व विभाग ने इस बारे में नोटिफिकेशन जारी किया। यह ड्यूटी प्रति वर्ग मीटर 0.13 डॉलर से लेकर 0.77 डॉलर तक है। डीजीटीआर का कहना है कि इन देशों से जानबूझकर कम कीमत पर भारत को इन प्लेटों का निर्यात किया जा रहा था।, जिससे घरेलू उद्योगों को नुकसान पहुंच रहा था।
 
2015-16 के मुकाबले 2018-19 में प्लेटों का दोगुना आयात
डीजीटीआर के मुताबिक, 2015-16 में डिजिटल ऑफसेट प्रिंटिंग प्लेटों का आयात 80 लाख वर्गमीटर था, जो जुलाई, 2018 से मार्च, 2019 के बीच बढ़कर 163.20 लाख वर्गमीटर हो गया। यानी दोगुने की बढ़ोतरी हो गई। इन प्लेटों की मदद से आंकड़ों को पेपर पर या टिन शीट पर तस्वीरों (डॉट पैटर्न या टैक्स्ट) में हस्तांतरित किया जाता है।

पहले भी कुछ सामानों पर लगाई थी एंटी डंपिंग ड्यूटी
बता दें कि इससे पहले भी भारत सरकार ने चीन से आयात होने वाले कुछ नाप लेने वाले टेप और पार्ट्स और कंपोनेंट पर पांच साल के लिए एंटी डंपिंग ड्यूटी लगा दी थी। डायरेक्टरेट जनरल ऑफ ट्रेड रेमेडीज (डीजीटीआर) ने चीन से आयात होने वाले स्टील और फाइबर ग्लास मापने के टेप पर एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाई थी।

डीजीटीआर वाणिज्य मंत्रालय का इन्वेस्टिगेशन विंग है। भारत चीन सीमा तनाव के बाद देश की जनता सरकार से चीनी सामान के बहिष्कार की मांग कर रही थी। इसके साथ ही भारत सरकार की ओर से बीते दिनों चीन की 59 एप पर भी बैन लगा दिया गया था।

क्या है डंपिंग ड्यूटी लगाने की वजह
डीजीटीआर का कहना था कि चीन की ओर से लगातार इस सामान को भारतीय बाजारों में डंप किया जा रहा है। डंपिंग की वजह से कीमत काफी कम हो जाती है और ये सामान भारतीय बाजार में आसानी से पैठ बना लेता है। इसलिए स्थानीय मैन्यूफैक्चर्स को बचाने के लिए एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाने का फैसला किया गया।

डिपार्टमेंट ऑफ रेवेन्यू ने नोटिफिकेशन जारी कर कहा कि चीन से आयात होने वाले स्टील और फाइबर ग्लास के नाप लेने वाले टेप और उनके पार्ट और कंपोनेंट पर पांच साल के लिए एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाई जाएगी। कुछ कंपनियों पर यह ड्यूटी 137 रुपये प्रति किलोग्राम तो कुछ कंपनियों पर 192 रुपये प्रति किलोग्राम होगी।

यह ड्यूटी इंडियन करेंसी यानी रुपये में चुकानी होगी। यह ड्यूटी पहली बार नौ जुलाई 2015 को पांच सालों के लिए लगाई गई थी। फिर उसी को पिछले दिनों अगले पांच साल के लिए फिर से बढ़ा दिया गया था। 

चीन से इसलिए आता है माल
भारत में बने एसेसरीज में सारा कच्चा माल चीन से आता है। सबसे ज्यादा मांग बैटरी और एलसीडी की होती है और ये दोनों चीन से आती हैं। क्योंकि चीन की कंपनियां अच्छी फिनिशिंग देते हैं, इसलिए लोगों में वो काफी पसंद आती हैं।

हालांकि देश के व्यापारियों के शीर्ष संगठन कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने पिछले दिनों दावा किया था कि त्योहारों में चीनी सामानों का पूरी तरह से बहिष्कार किया जाएगा और भारतीय बाजार में घरेलू उत्पाद प्रचुर मात्रा में उपलब्ध रहेंगे।

बता दें कि दीपावली भारत के सबसे बड़े पर्वों में से एक है। इस साल यह नवंबर में आने वाला है। पिछले कुछ सालों में देखा गया है कि इस दौरान चीनी सामान की खासी बिक्री होती है।

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