कृत्रिम मेहंदी लगाना महिला को पड़ा भारी, जान बचाने के लिए करना पड़ा ऑपरेशन

कृत्रिम मेहंदीनई दिल्ली। शादी समारोह या खास मौकों पर महिलाएं मेहंदी जरूर लगाती हैं। लेकिन बाजार में मौजूद कृत्रिम मेहंदी इनकी सेहत को फीका कर रही है। साबित हो सकता है। ऐसा ही एक मामला लेडी हार्डिग मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में सामने आया है। कृत्रिम मेहंदी के संक्रमण से एक 25 वर्षीय महिला के बायें हाथ में रक्त संचार प्रभावित हो गया। इस वजह से वह दुर्लभ बीमारी एक्यूट कंपार्टमेंट सिंड्रोम (एसीडी) से पीड़ित हो गई। डॉक्टरों को उसका हाथ सुरक्षित बचाने के लिए सर्जरी करना पड़ा। लेडी हार्डिग मेडिकल कॉलेज व एम्स के डॉक्टरों ने इस मामले को अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल में प्रकाशित किया है। जिसमें दावा किया है कि मेहंदी के संक्रमण से पहली बार इस तरह का मामला सामने आया है।

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डॉक्टरों का कहना है कि महिला शादी समारोह में शामिल होने के लिए हथेली और उसके पूरे ऊपरी हिस्से पर मेहंदी लगाई थी। इसके दो दिन बाद उसके बायें हाथ में दर्द शुरू हो गया। जब वह अस्पताल पहुंची तब उसे लगातार छह घंटे से दर्द था और हाथ में काफी सूजन हो गया था। इस वजह से उसे ऑथरेपेडिक इमरजेंसी में भर्ती कराया गया। उसका इलाज करने वाले डॉ. लक्ष्य गोयल ने बताया कि मेहंदी लगाने के दो दिन पहले चूड़ी से महिला का हाथ थोड़ा कट गया था। संभवत: इस वजह से कृत्रिम मेहंदी से उसे संक्रमण हुआ। मेहंदी में मौजूद रसायन के चलते हाथ में प्रेशर बढ़ने लगा। इस वजह से रक्त संचार प्रभावित हुआ। हाथ पर करीब 20 सेंटीमीटर का चीरा लगाकर ऑपरेशन के जरिये हाथ का प्रेशर दूर किया गया। ऑपरेशन के बाद उसे ठीक होने में कई दिन लगे। हाथ की कलाई व अंगुलियों के सामान्य मूवमेंट के लिए फिजियोथेरेपी का भी सहरा लेना पड़ा।

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डॉक्टरों का कहना है कि कृत्रिम मेहंदी में पीपीडी (पारा-फेनाइलनेडिमाइन) नामक रसायन इस्तेमाल होता है। जो मेहंदी के रंग को गाढ़ा करता है। इससे सामान्य तौर पर त्वचा पर एलर्जी, सांस का संक्रमण होने की आशंका रहती है। कृत्रिम रसायन के दुष्प्रभाव से पहले हाथ की त्वचा पर एलर्जी व फफोले होने के मामले देखे गए हैं पर एसीडी के मामले नहीं देखे गए हैं। डॉक्टरों ने सुझाव दिया है कि वैसे तो यह मामला बहुत दुर्लभ है। पर लोगों को कृत्रिम मेहंदी की जगह प्राकृतिक मेहंदी का ही इस्तेमाल करना चाहिए।

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