जिस राज को छिपा रहे हैं शिवराज वही बन सकता है पीएम मोदी के लिए खतरा, हाथ से जा सकता है…

किसानों की हत्यानई दिल्ली। स्वराज इंडिया ने मध्य प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार की कड़ी भर्त्सना करते हुए मंगलवार को कहा कि ऐसा लगता है कि किसानों की हत्या को लेकर सरकार कुछ छुपाना चाह रही है, इसलिए किसी को मंदसौर जाने नहीं दे रही है। स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने कहा कि पिछले हफ्ते से सरकार ने किसी नेता या कार्यकर्ता को मंदसौर का दौरा करने और पीड़ितों के परिजनों से मिलने नहीं दिया है।

मध्य प्रदेश के नीमच से लौटने के बाद यादव ने यहां संवाददाताओं से कहा, “मंदसौर में पुलिस गोलीबारी में पांच किसानों की मौत के एक हफ्ते बीत चुके हैं। जो नेता उनके परिजनों से मिलना चाहते हैं, उन्हें रोककर सरकार कुछ छुपा रही है और उसे जरूर सामने आना चाहिए।”

यादव की इस टिप्पणी के एक दिन पहले उन्हें सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर और स्वामी अग्निवेश के साथ छह जून को मारे गए किसानों के परिवारों से मिलने की इजाजत नहीं मिली थी।

किसानों पर पुलिस गोलीबारी के विरोध में सरकार को लताड़ते हुए यादव ने कहा, “जिस तरह से पुलिस गोलीबारी में किसानों की मौत हुई है, उससे पता चलता है कि यह एक हत्या थी।”

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि गोलीबारी बंद होने के बाद किसानों के साथ इतनी मारपीट की गई कि उनकी जान ले ली गई।

स्वराज इंडिया के नेता ने कहा कि मध्यप्रदेश की कृषि नीति ‘उत्पादन उन्मुख है, उत्पादक उन्मुख नहीं।’

उन्होंने कहा, “अगर हम राज्य में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के किसी भी नेता से बात करते हैं, तो कृषि उत्पादन में वृद्धि की बात करेंगे। लेकिन तथ्य यह है कि कृषि नीति उत्पादन उन्मुख है और उत्पादक उन्मुख नहीं है।”

उन्होंने कहा कि नोटबंदी ने भी कृषि उत्पादों की मांग में गिरावट में एक प्रमुख भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा, “नोटबंदी के बाद मांग में भारी गिरावट आई है।”

यादव ने यह भी कहा कि मंदसौर और नीमच के किसानों को उनकी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) भी नहीं मिल रहा, क्योंकि पिछले साल की तुलना में कीमतों में भारी गिरावट आई है।

इस बीच, स्वामी अग्निवेश ने मध्य प्रदेश में कहा, “नागरिकों को कहीं भी जाने की स्वतंत्रता नहीं है, क्योंकि उन्हें कहीं जाने की इजाजत नहीं है।”

उन्होंने एमएस स्वामीनाथन की रपट को लागू नहीं करने के लिए सरकार की भी निंदा की और कहा कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा ने अपने घोषणापत्र में स्वामीनाथन की सिफारिशें लागू करने का वादा किया था।

स्वामीनाथन की अध्यक्षता में गठित किसानों पर राष्ट्रीय आयोग (एनसीएफ) ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का सुझाव दिया है, जिसमें खेती पर किए गए कुल खर्च का कम से कम 50 फीसदी या उससे अधिक रखने का सुझाव है।

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