काशी से पांडवों के साथ यहां चले आए थे भगवान शिव, रातोंरात बन गया मंदिर

त्रिनेत्रधारी भगवान शिव की महिमा अपरंपार है। आज हम आपको दुनिया के ऐसे अनोखे शिव मंदिर के बारे में बता रहे हैं जो बियाबान जंगल में होने के साथ-साथ कई रहस्यों को भी समेटे हुए है। इस मंदिर और यहां विराजे भोले के दर्शन करने के लिए भक्त कई किलोमीटर पैदल चलकर और खतरनाक जानवरों से भरे जंगल को पार कर आते हैं।

भगवान शिव

राजस्थान के अलवर जिले में स्थित नीलकंठ महादेव के नाम से विख्यात यह मंदिर सरिस्का के जंगल के बीचोंबीच है। नाथ सम्प्रदाय वर्षों से यहां विराजे त्रिनेत्रधारी की सेवा करता आया है।

रजनीकांत की ‘2.0’ ने तोड़ डाले सारे रिकॉर्ड, पहुंचे ऐसे आंकडें पर जहां किसी का पहुंचना नामुमकिन है!

नीलकंठ महादेव मंदिर के बारे में अनेक कथाएं प्रचलित हैं, लेकिन जो पौराणिक कथा यहां सबसे अधिक प्रचलित है वह है पांडवों के बारे में। पौराणिक कथाओं के अनुसार, पांडव बैराठ विराटनगर में बाणगंगा नदी के किनारे शिवलिंग की स्थापना करना चाहत थे। इसके लिए वे भगवान शिव से प्रार्थना करने काशी पहुंचे और त्रिनेत्रधारी से अपने साथ चलने का आग्रह किया।

भगवान शिव पांडवों के साथ चलने के लिए तो तैयार हो गए, लेकिन उन्होंने पांडवों से एक वचन मांगा।

दरअसल, काशी में भगवान शिव ने पांडवों से कहा था हमारी यात्रा के दौरान जहां सुबह की जाग हो जाएगी तुम्हें मेरी वहीं स्थापना करनी होगी। जब पांडव भगवान को बैराठ जो कि सरिस्का से करीब 30 किलोमीटर दूर है ले जा रहे थे, तब सुबह हो गई और वर्तमान स्थान पर सरिस्का के जंगल के बीचोंबीच भगवान शिव की पांडवों को यहा स्थापना करनी पड़ी।

पांडवों ने यहां गर्भगृह में अखंड ज्योत जलाकर भगवान शिव की स्थापना की थी। यह अखंड ज्योत आज भी जल रही है। भगवान शिव के अभिषेक के लिए पांडवों ने यहां रातोंरात बावड़ी भी बना दी। जिसमें आज भी पानी कभी सूखता नहीं है। इस परिसर की महत्ता काफी अधिक है।

विजयन ने चेन्निथला से कहा, राहुल गांधी नहीं… अमित शाह आपके नेता

फिलहाल यह मंदिर भारत पुरात्तव विभाग के संरक्षण में है। विभाग के कर्मचारी यहां हमेशा रहते है।

इतिहासकार बताते हैं कि सरिस्का में जहां नीलकंठ महादेव मंदिर है इस जगह महाभारत काल में पारा नगर नाम का शहर हुआ करता था। महाभारत काल के बाद सन 1010 में राजोरगढ़ के राजा अजयपाल ने यहां शिवालय को भव्य रुप दिया।

मंदिर की दीवारों पर की गई नक्काशी बेहद ही खास है। यहां आने वाले इतिहासकार और वास्तुशिल्पी भी इस नक्काशी को देखकर हतप्रभ रह जाते है।

LIVE TV