नोटबंदी के बाद कालेधन को सफेद करने के ये तरीके फेल होकर भी हैं हिट, नहीं कोई तोड़

कालेधननई दिल्ली। बीते महीने की 8 तारीख को नोटबंदी का एतिहासिक फैसला मोदी जी ने लिया और सभी हैरान हो गए। 500 और 1,000 के करेंसी नोट के विमुद्रीकृत किए जाने की घोषणा की तो पूरा देश परेशानी में पड़ गया।

लेकिन इस घोषणा के साथ लोगों ने 500 और 1,000 के करेंसी नोट को चलाने की चालाकियों पर भी सोचना शुरू कर दिया। उन्होंने यह कदम उठाने के पीछे का कारण बताते हुए कहा था कि इससे कालेधन और आतंकवाद के नासूर पर लगाम लगेगी।

आयकर विभाग का छापा

इसी कड़ी में आयकर विभाग ने महाराष्ट्र स्थित मुंबई के टिफिन सर्विस देने वाले एक केटरर के दफ्तर पर छापा मारा। वहां उन्हें 80 लाख रुपए की नकदी नए नोट में मिले। उसमें से 40 लाख रुपए वापस लिए गए नोट थे।

मामले में जांच के दौरान विभाग ने पाया कि केटरेर ने अपने क्लाइंट्स के बेहिसाब पुरानी करेंसी नोट को बदलवाने का काम किया। हालांकि ये केटरर मुंबई के फेमस डब्बावाला नेटवर्क से संबंध नहीं रखता।

अंग्रेजी अखबार के मुताबिक जानकारी दी गई है कि इस केटरर ने अपने 60 डिलीवरी करने वाले लोगों को कई बैंकों के बाहर नोट बदलवाने के लिए लाइन में लगाया। सूत्रों के मुताबिक हर डिलीवरी मैन,शहर के तमाम बैंकों में सुबह से शाम तक पुराने नोट बदलता था।

ये हैं शामिल

सूत्रों के अनुसार विमुद्रीकरण के बाद देश भर में टैक्स सर्वेक्षणों और छापेमारी के बाद 500 और 1,000 के करेंसी नोट को अवैध रूप से बदला गया है।

इतना ही नहीं नोटों को अवैध रूप से बदलने के पीछे सिर्फ बुलियन डीलर्स और हवाला कारोबारी ही शामिल नहीं हैं बल्कि डेंटल इंप्लांट इक्विप्मेन्ट से लेकर सिविल ठेकेदारों और रियल स्टेस की फर्म्स भी इसमें शामिल हैं

इसमें शामिल लोग नए तरीकों से 500 और 1,000 के करेंसी नोट को अवैध रूप से बदल रहे हैं। इसलिए बैंक से कम की गई सीमा अखबार के अनुसार एक अन्य आधिकारिक सूत्र ने जानकारी दी कि पुरानी करेंसी को ओवर-द-काउंटर एक्सचेंज करने की प्रक्रिया को इसलिए प्रयोग में लाया गया ताकि आम आदमी को राहत मिले लेकिन कुछ गलत लोगों ने इसका दुरुपयोग किया। उन्होंने बैंकों की कई शाखाओं में जाकर पैसे एक्सचेंज किये।

नोट एक्सचेंज के बारे में ऐसी प्रतिक्रिया सुन कर भारतीय रिजर्व बैंक ने 25 नवंबर को घोषणा की कि विमुद्रीकृत किए गए करेंसी नोट सिर्फ आरबीआई के काउंटर से ही बदले जाएंगे।

इतना ही नहीं 18 नवंबर को सरकार ने बैंकों से कैश बदलने की सीमा को 4,500 रुपए से घटाकर 2,000 रुपए कर दिया था।

सूत्रों के मुताबिक रद्द किए गए करेंसी नोट को बदलने के लिए इक्विमेन्ट सप्लायर्स ने बैक डेट में डॉक्टरों को डेंटल इंप्लांट इक्विप्मेन्ट बेचें हैं। इन इक्विप्मेन्ट्स की कीमत करीब 60 लाख रुपए थी।

बैक डेट में बेचें फ्लैट्स

इसी तरह आयकर विभाग के लोगों ने यह भी पाया है कि रियल स्टेट की फर्म्स ने 8 नवबंर से पहले की डेट बताकर लोगों से बड़ी मात्रा में पुरानी करेंसी स्वीकार की है। उन्होंने रिसीप्ट में बैक डेट दिखाकर फ्लैट्स बेचें हैं।

अधिकारियों के अनुसार जब से पीएम मोदी ने विमुद्रीकरण की घोषणा की है तब से मुंबई में आयकर विभाग और एयर इंटेलिजेंस यूनिट ने करीब 5 ऐसे मामले दर्ज किए हैं, जिसमें बेहिसाब रुपए हवाई जहाज से लाए जा रहे थे।

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