
नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद से कैश की किल्लत से जूझ रहे देश को एक और चोट लगने वाली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में कैशलेस इकोनॉमी को प्रमोट कर रहे हैं। लेकिन कैशलेस होने के साइड अफेक्ट के बारे में शायद सरकार ने नहीं सोच है। कैशलेस पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए कार्ड, नेट बैंकिंग और ई-वॉलेट्स से पेमेंट करने पर जोर दे रही है ताकि ब्लैक मनी पर लगाम लगाया जा सके।
हालांकि कार्ड और ई-वॉलेट्स के जरिए हर जगह भुगतान अभी संभंव नहीं है लेकिन जहां संभंव है वहां भी कार्ड से पेमेंट करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरुरी है वरना परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। 31 अगस्त तक क्रेडिट कार्ड्स पर आउट स्टैंडिंग लोन 46 हजार 300 करोड़ रुपए था। विशेषज्ञों का मानना है कि ऑनलाइन खरीदी, रिवॉर्ड प्वाइंट्स की चाह लोगों को क्रेडिट कार्ड से पेमेंट की ओर आकर्षित कर रही है। हालांकि क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करने से पहले आपको रि-पेमेंट के बारे में अच्छे से जानकारी कर लेनी चाहिए ताकि अब किसी तरह के जाल में फंसने से बच सके।
बैंक क्रेडिट कार्ड के जरिए आपको शॉपिंग या अपनी जरुरत की चीजों का बिल चुकाने के लिए एक निश्चित अमाउंट देते हैं, जो आपके कार्ड की क्रेडिट लिमिट पर निर्भर करता है। इस पैसे पर एक निश्चित समय तक कोई अतिरिक्त पैसा नहीं वसूला जाता है कि, लेकिन टाइम पीरियड खत्म होने के बाद इस पर मंथली ब्याज लगता है, जो कि जो सालाना आधार पर 36 पर्सेंट से ज्यादा हो सकता है। यह ब्याज हर महीने तक तक लगता है जब तक की आप पूरा पैसा बैंक को वापस नहीं कर देते।