कांग्रेस ने कहा- वाड्रा से जुड़े लोगों पर ईडी के छापे बदले की कार्रवाई

नई दिल्ली। कांग्रेस ने शनिवार को पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के बहनोई रॉबर्ट वाड्रा से संबंधित कुछ लोगों के परिसरों पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के छापों को राजनीतिक हिसाब बराबर करने के लिए बदले की कार्रवाई करार दिया। यहां पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, “पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में संभावित हार को देखकर मोदी सरकार गंदी चालों और दुर्भावनापूर्ण रणनीति पर उतर आई है।”

बीजेपी नीत केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि बीते 54 महीनों में एक के बाद एक घोटालों का पर्दाफाश होने और धोखेबाजों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने से मोदी सरकार का भ्रष्टाचार-विरोधी होने का मुखौटा उतर गया है।

उन्होंने कहा, “इसके बजाए, मोदी सरकार अपनी भारी नाकामियों को छिपाने के लिए अपनी गंदी चालों से विपक्षी नेताओं को बदनाम करने, उनपर कीचड़ उछालने के लिए सीबीआई और ईडी का इस्तेमाल कर रही है।”

उन्होंने कहा कि कांग्रेस को निशाना बनाने के लिए वाड्रा और उनके सहयोगियों के परिसरों पर अवैध छापेमारी इस संगठित साजिश की एक अन्य कड़ी, प्रतिशोध की भावना के अनुरूप कार्रवाई और झूठ का जाल है।

वित्तीय जांच एजेंसी द्वारा रक्षा सौदों में कथित रूप से कमीशन हासिल करने के संबंध में वाड्रा से जुड़ी कंपपियों के कुछ लोगों के ठिकानों पर शुक्रवार को की गई छापेमारी के बाद कांग्रेस की यह टिप्पणी सामने आई है। दक्षिण दिल्ली के सुखदेव विहार इलाके में स्काईलाइट हॉस्पिटलिटी के कार्यालय पर भी छापेमारी हुई।

सरकार पर हमला बोलते हुए कांग्रेस नेता ने कहा, “तुच्छ राजनीतिक मकसद से एक व्यक्ति को निशाना बनाकर और उसे बदनाम करने के लिए सभी संवैधानिक, वैध और प्रशासिनक नियमों को कचरे में फेंका जा रहा है।”

उन्होंने कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसी, ईडी, आयकर विभाग बंधुआ मजदूर की तरह कार्य कर रहे हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की धुन पर नाच रहे हैं।

भाजपा पर वाड्रा को बदनाम करने का आरोप लगाते हुए सिंघवी ने कहा, “बीते 54 महीनों में मोदी सरकार ने राजनीतिक हिसाब बराबर करने के लिए वाड्रा को बदनाम करने और नुकसान पहुंचाने के लिए एक आपराधिक साजिश रची।”

उन्होंने कहा, “इन सब में नाकाम रहने के बाद मोदी सरकार ने ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग सहित अपनी सभी एजेंसियों को बुरे इरादे के साथ वाड्रा को परेशान करने के लिए उनके पीछे लगा दिया।”

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ईडी के जिन अधिकारियों ने वाड्रा व उनसे जुड़े लोगों के कार्यालयों व परिसरों पर छापे मारे, उन्होंने सभी नियमों की अवेहलना की।

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सिंघवी ने कहा कि बिना किसी प्राथमिकी या सर्च वारंट के वाड्रा के सहयोगियों, उनकी बहन व नोएडा स्थित बहन के ससुराल के घर पर भी छापा मारा गया। ये छापे पूर्णतया अवैध थे, क्योंकि किसी भी कर्मचारी व वकील को परिसर में प्रवेश की इजाजत नहीं थी।

उन्होंने कहा कि इस पूरी कार्रवाई के लिए चार कर्मचारियों को अवैध रूप से हिरासत में भी रखा गया।

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उन्होंने कहा कि वाड्रा ने अपने वकील के माध्यम से 26 नवंबर और पांच दिसंबर को ईडी के पास 600 से ज्यादा पृष्ठों के दस्तावेजों के दो सेट भी जमा कराए थे।

सिंघवी ने कहा कि विपक्षियों से राजनीतिक बदला लेने के लिए ईडी अधिकारियों को मोदी सरकार के निजी बंधुआ मजदूर व राजनीतिक एजेंट के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।

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