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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के निवास स्थान पर हुई बैठक में आप से लोकसभा चुनावों के लिए गठबंधन को लेकर नया समीकरण देखने को सामने आया है। आप से गठबंधन के धुर विरोधी पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन ने गठबंधन का समर्थन कर सभी को चौंका दिया। वहीं प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित व उनके सहयोगियों ने गठबंधन से इंकार कर दिया। राहुल गांधी ने भी बहुमत को स्वीकार कर गठबंधन को नकार दिया।

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बैठक में पूर्व अध्यक्ष अजय माकन ने खुलकर कहा कि वर्तमान हालत को देखकर आप से गठबंधन करना जरूरी हो गया है। यदि ऐसा नहीं होगा तो भाजपा को लाभ मिलेगा। समझदारी इसी में है कि वर्तमान में आप से गठबंधन कर लिया जाए। माकन ने बैठक में माना कि गठबंधन का विरोध सबसे ज्यादा उन्होंने ही किया था और केजरीवाल के खिलाफ वे सीबीआई व अदालत तक गए थे। वहीं दिल्ली प्रभारी पीसी चाको ने भी उनका समर्थन करते हुए गठबंधन को आज के हालत में जरूरी बताया।

बैठक में प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित ने स्पष्ट कर दिया कि आप से गठबंधन करने से कांग्रेस को फायदे की अपेक्षा नुकसान ही होगा। ऐसे में कांग्रेस को अपने दम पर चुनाव लड़ना चाहिए।  पूर्व प्रदेश अध्यक्ष जय प्रकाश अग्रवाल, अरविंद्र सिंह लवली, सुभाष चोपड़ा, कार्यकारी अध्यक्ष हारूण युसुफ, राजेश लिलोठिया, योगानंद शास्त्री ने भी शीला दीक्षित के तर्क पर सहमति जताई। सभी ने कहा कि यदि कांग्रेस को जिंदा रखना है तो गठबंधन नहीं किया जाना चाहिए। गठबंधन करने से मतदाताओं में कांग्रेस के प्रति नकारात्मक संदेश जाएगा।

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गठबंधन पर बयान देने के लिए शीला को किया अधिकृत
राहुल गांधी ने सभी के तर्क सुनने के बाद स्पष्ट तौर पर कहा कि बहुमत का फैसला ही उनका निर्णय होगा। यानी उन्होंने भी गठबंधन न करने पर अंतिम मुहर लगा दी।  राहुल गांधी ने मीडिया में गठबंधन न करने के लिए बयान जारी करने के लिए शीला दीक्षित को अधिकृत कर दिया। शीला दीक्षित ने भी बैठक के बाद मीडिया में बयान जारी कर दिया कि गठबंधन नहीं होगा और कांग्रेस अपने स्तर पर चुनाव लड़ेगी।

आप की दबाव की राजनीति से कांग्रेस नेताओं के सुर बदले

बताया जा रहा है कि आप-कांग्रेस के बीच गठबंधन की संभावना बन गई थी, लेकिन जिस प्रकार आप ने छह सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर कांग्रेस पर दबाव बनाने की राजनीति शुरू की, उससे कांग्रेस के अधिकांश नेताओं के सुर बदल गए। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व अन्य नेताओं के बयान व पूर्वी दिल्ली संसदीय सीट पर शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित चुनाव लड़ते आए हैं, आप ने इस सीट पर आतिशी को अपना उम्मीदवार बनाने से भी शीला नाराज हो गईं थीं।

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गठबंधन की संभावना पर विराम 
बैठक में गठबंधन पर मुहर लगने की संभावना थी, लेकिन हुआ उसके उलट। आप से चुनावी गठबंधन पर अजय माकन ने कार्यकाल में जमकर विरोध जताया था। उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष पद तक से त्यागपत्र दे दिया था। इसके बाद शीला दीक्षित को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया, ताकि आप से गठबंधन पर कोई विरोध के सुर नहीं उभरे। शीला भी हालांकि समय-समय पर गठबंधन पर विरोध जताती रही हैं, लेकिन अंतिम निर्णय आलाकमान पर छोड़ती रही हैं।

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