कश्मीर में आतंकियों से लड़ने के लिए इस बच्चे ने छोड़ा घर

कश्मीर में आतंकनई दिल्ली : कश्मीर में आतंक से लड़ने के लिए हमारे सैनिक हैं। अब उनका साथ देने को देश के बच्चे भी घर छोड़ने को तैयार हैं। दसवीं का छात्र निर्मल वाघ (14 साल) बीते 10 अगस्त को घर छोड़कर आतंकवादियों से लड़ने के लिए चला गया।

निर्मल ने बताया कि आतंकवादियों से लड़ने में कश्मीर जाकर सेना की मदद करना चाहता था। काफी समय से वह उसने कश्मीर जाकर आतंकियों से लड़ने की रट लगाए था। उसके पिता ने बताया कि वह कश्मीर में आतंक से लड़ रहे सैनिकों का जिक्र किया करता था और वहां बनी स्थितियों से विचलित था। अब इस बात पर उसके दोस्त उसका मजाक भी उड़ा रहे हैं।

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मुंबई का निर्मल वसई (वेस्ट) के एमजी पारुलेकर स्कूल में पढ़ता है। 10 अगस्त को निर्मल ने घर छोड़ रात साढ़े नौ मुंबई सेंट्रल से अमृतसर जाने वाली ट्रेन गोल्डेन टेम्पल मेल में बैठ गया।

करीब सवा एक बजे के जब ट्रेन सूरत पहुंची तो टिकट चेकर ने बिना टिकट के यात्रा करने के चलते उसे ट्रेन से उतार दिया। निर्मल के पास ट्यूशन फी के ढाई हजार रुपये रखे थे।

10 अगस्त की रात जब वह घर लौटकर नहीं आया तो उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट परिवार वालों ने दर्ज कराई। वसईगांव पुलिस ने उसे काफी कोशिशों के बाद ढूंढ लिया।

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निर्मल के पिता प्रसन्न के मोबाइल पर 14 अगस्त को एक मिस्ड कॉल आई। इस मिस्ड क़ॉल को पुलिस ने ट्रेस किया तो यह का मिला। पुलिस ने सूरत फोन किया गया और वहां की पुलिस से बात की गई। आखिरकार निर्मल को सूरत में एक पानीपुरी बेचने वाले की झोपड़ी में पाया गया।

हालांकि यह साफ नहीं हुआ कि वह पानीपुरी वाले के पास कैसे पहुंचा और वहां रुका रहा। निर्मल को जब लगा कि वह रास्ता भटक गया है तो उसने पानीपुरी वाले से नौकरी मांगी थी। अपने परिवार के बारे में उसने पानीपुरी वाले से भी बताया था।

बीएमसी में कार्यरत उसके पिता प्रसन्न ने कहा, “उसने मुझसे कई बार कश्मीर जाने के बारे में भी कहा। लेकिन मैंने ऐसा कभी नहीं सोचा था कि वह अकेले ही चल पड़ेगा।”

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