कल है प्रदोष, जानें कैसे करे भगवान शिव जी की पूजा…

हिंदी पंचांग के अनुसार,  हर महीने की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को धार्मिक रीति-रिवाज से मनाया जाता है। इस बार आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी का प्रदोष व्रत 2 जुलाई को मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-उपासना की जाती है।

इस व्रत के पुण्य-प्रताप से व्यक्ति के सभी दुःख और दोष दूर हो जाते हैं। धार्मिक मान्यता है कि सोमवार, त्रयोदशी और चतुर्दशी के दिन भगवान शिव की पूजा और उपासना करने से व्यक्ति के सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं। आइए, पूजा का शुभ-मुहूर्त, महत्व और पूजा-विधि जानते हैं-

पूजा का शुभ मुहूर्त

इस दिन शुभ मुहूर्त दिनभर है। व्रती किसी समय भगवान शिव और पार्वती की पूजा कर सकते हैं। प्रदोष व्रत की तिथि 2 जुलाई को रात में 3 बजकर 13 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 3 जुलाई को दिन में 1 बजकर 16 मिनट पर समाप्त होगी।

प्रदोष व्रत महत्व

प्रदोष व्रत में दिन के अनुसार फल प्राप्त होता है। सप्ताह के सातों दिनों का पुण्य-फल भिन्न-भिन्न होता है। इस बार प्रदोष व्रत गुरुवार को है। इस दिन व्रत करने से शत्रुओं का दमन होता है। साथ ही व्रती की मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं। खासकर अविवाहितों के लिए यह व्रत विशेष फलदायी है।

प्रदोष व्रत पूजा विधि

इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भगवान शिव का स्मरण कर दिन की शुरुआत करें। इसके पश्चात नित्य कर्मों से निवृत होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अब आमचन कर अपने आप को शुद्ध करें। अब सबसे पहले भगवान सूर्य को जल का अर्घ्य दें।

तत्पश्चात, भगवान शिव जी एवं माता पार्वती की पूजा शिव चालीसा का पाठ, मंत्रों का जाप कर फल, फूल, धूप, दीप, अक्षत, भांग, धतूरा, दूध, दही और पंचामृत से करें। अंत में आरती-अर्चना कर भगवान शिव और माता पार्वती से अन्न, जल और धन की कामना करें। दिनभर उपवास रखें। शाम में आरती-अर्चना करें। फिर फलाहार करें। अगले दिन पूजा-पाठ संपन्न कर व्रत खोलें।

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