कर्नाटकः तत्काल सुनवाई पर सु्प्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, अब बचा है सिर्फ ये रास्ता

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कर्नाटक विधानसभा में सरकार को तत्काल विश्वास मत पेश करने का निर्देश देने की दो निर्दलीय विधायकों की याचिका खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे ‘असंभव’ बताया है। दो निर्दलीय विधायकों- आर. शंकर और एच. नागेश ने रविवार को संयुक्त रूप से अपनी याचिका में कहा कि उन्होंने कर्नाटक के सत्तारूढ़ कांग्रेस-जनता दल (सेकुलर) सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। उन्होंने सदन में विश्वास मत संबंधी याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की है।

निर्दलीय विधायकों की तरफ से मुकुल रोहतगी ने चीफ जस्टिस से मामले पर सोमवार को ही सुनवाई का अनुरोध किया था। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि कर्नाटक में फ्लोर टेस्ट में जानबूझकर देरी की जा रही है। बता दें कि कर्नाटक के दो निर्दलीय विधायक शंकर और नागेश भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे।

उन्होंने याचिका दाखिल कर कर्नाटक में जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट कराने की बात कही है। निर्दलीय विधायकों द्वारा दाखिल याचिका में कहा गया है कि कुमारस्वामी सरकार अल्पमत में है इसके बावजूद भी फ्लोर टेस्ट नहीं कराया जा रहा है।

ऐसे में कोर्ट को चाहिए कि इस मामले की सोमवार को सुनवाई करते हुए शाम पांच बजे तक फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दे। सुप्रीम कोर्ट ने विधायकों की इस अर्जी पर सुनवाई से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि इस याचिका पर आज सुनवाई संभव नहीं है। चीज जस्टिस ऑफ इंडिया ने कहा कि मंगलवार को भी इस मामले की सुनवाई होगी या नहीं होगी इसे बाद में देखेंगे।

कर्नाटक में एच.डी. कुमारस्वामी की सरकार को गिराने के लिए कांग्रेस और जद-एस के कई विधायकों के इस्तीफा देने या विपक्षी भाजपा से हाथ मिलाने के बाद राज्य में राजनीतिक संकट व्याप्त हो गया है।

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मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय जाकर उसके 17 जुलाई के आदेश पर स्पष्टीकरण मांगा था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि राज्यपाल विश्वास मत के मामले में दखल दे रहे हैं। आदेश में 15 बागी विधायकों को सदन की कार्यवाही से अलग रहने का विकल्प भी प्रदान किया था।

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