कन्नौज के बाबा गौरी शंकर मंदिर में सावन के पहले दिन लगा श्रृद्धालुओं का तांता

Kannauj

श्रावण मास का आज पहला दिन है। कन्नौज के बाबा गौरी शंकर में सावन के पहले दिन से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगती है। वैसे बाबा गौरीशंकर का महत्व 12 महा रहता है लेकिन सावन के महीने बाबा के दरबार मे देश विदेश से श्रद्धालु बाबा के दर्शन को आते है।

कन्नौज की इस सिद्ध पीठ के बारे में कहा जाता है कि यहां आने वाले कि कोई भी इच्छा कभी अधूरी नही होती। आइये जानते है इस सिद्ध पीठ के बारे में–

शिव मंदिर

ये है कन्नौज जिले का सुप्रसिद्ध प्राचीन गौरीशंकर बाबा का मन्दिर। जहां हजारों की संख्या में दूर दराज से लोग दर्शन करने आते हैं और उनकी मनोकामना पूरी होती है।

जानकारों की माने तो यह मन्दिर छठी शताब्दी का है तत्कालीन साम्राट हर्षवर्धन भी यहां  हर रोज पूजा अर्चना अपने एक हजार एक पंडितों के साथ किया करते थे। मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि यहां का शिवंलिग स्वंयभू है इस शिवंलिंग में शिव अपने पूरे परिवार माता पार्वती पुत्र गणेष कार्तिके के साथ विराजमान है।

शिवलिंग के बारे में कहा जाता है कि एक बार इसकी खुदाई भी की गयी थी लेकिन शिवलिंग का कोई अन्त न मिला जिससे खुदाई बन्द करनी पड़ी। वहीं मंदिर के बारे मे यह भी कहा जाता है कि जब भगवान शिव अपनी पत्नी सती का मृत शरीर लिये ब्रहाम्ड में  विचरण कर रहे थे तो भगवान विष्णु ने अपने चक्र से माता सती के शरीर के टुकड़े किये थे तो उन टुकड़ों में उनका कान यहा गिरा था।

शिवलिंग में एक तरफ कान को भी देखा जा सकता है। मंदिर के पुजारी की माने तो बनारस में  काशी विश्वनाथ मंदिर के बाद कन्नौज के गौरषंकर मंदिर का धार्मिक महत्व है प्राचीन समय में यह शिवलिंग पतित पावनी मां गंगा मैया के तट पर स्थित था अब गंगा जी यहां से पांच किलोमीटर की दूरी पर है लेकिन वो शिवलिंग का जलाभिषेक करने आती है।

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चीनी यात्री हवेनस्वांग ने सम्राट हर्षवर्धन के समय में इस मंदिर के दर्षन किये थे और चीनी दार्शनिक हवेंसवांग ने अपनी यात्रा वर्णन में कन्नौज के गौरी शंकर मंदिर के महत्व के बारे में भी लिखा था।

सम्पूर्ण भारत से भक्त भगवान गौरीषंकर के दर्षन के लिए आते है। सावन के प्रत्येक सोमवार को लोग दर्शन कर अपनी मनोकामना मांगते है और मनोकामना पूरी होने पर बार बार यहां आते है।अति प्राचीन गौरीषंकर बाबा के मंदिर में लोग दर्षन करने से पहले मंदिर के निकट गंगा नदी में स्नान ध्यान भी करते है। कहा जाता है गंगा स्नान का पुण्य बाबा के दर्शन के बाद ही प्राप्त होता है ।

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