ऐसी भावनाओं पर करे काबू, जिनसे आप उठा जाते है नुकसान

भावनाएं

भावनायें ही आदमी को इनसान बनाती हैं। ये भावनाएं कभी सकारात्‍मक रूप लेकर हमें ऊर्जा और शक्ति प्रदान करती है, तो कभी नकरात्‍मकता के रूप में हमारे विनाश की पटकथा लिखती हैं। भावनायें नियंत्रित हों, तभी अच्‍छा होता है। विशेष रूप से नकारात्‍मक भावनायें कभी एक सीमा से बाहर नहीं होनी चाहिए। यदि हम अपनी भावनाओं को नियंत्रित कर उन्‍हें सही दिशा में प्रवाहित कर पाएं, तो नकारात्‍मक भावनाओं के दुष्‍प्रभाव से बचा जा सकता है।

ऐसी भावनाओं पर पाएं काबू जिनसे उठा जाते है आप नुकसान

क्रोध

यूं ही नहीं कहा जाता, ‘एक पल का क्रोध आपका भविष्‍य बिगाड़ सकता है।’ वैसे तो क्रोध आम मनोभाव है। लेकिन, इसका नियंत्रण से बाहर होना, बेहद खतरनाक है। कहते हैं कि क्रोधी व्‍यक्ति को अपने विनाश के लिए किसी शत्रु की आवश्‍यकता नहीं। क्रोधी मनुष्‍य स्‍वयं अपने लिए परिस्थितियां मुश्किल बना लेता है। इससे उसका व्‍यावसायिक और निजी जीवन बुरी तरह प्रभावित होता है। इसलिए गुस्‍से पर नियंत्रण रखना जरूरी है। इसके लिए सबसे अच्‍छा उपाय है आप जब भी दुखी या गुस्‍से में हो तो अपनी भावनाओं को समझें और उनके बारे में लिखे। इसके अलावा गुस्से की अवस्था में स्वयं से तर्क करें। खुद को बताये कि सारी दुनिया आपके हिसाब नहीं चल सकती।

पश्चात्‍ताप या अफसोस
पश्चात्‍ताप बुरा नहीं है, लेकिन इसमें डूब जाना भी अच्‍छा नहीं। अपनी गलती पर पछताना आपको भविष्‍य में उससे दूर रहने में मदद करेगा। लेकिन, इसमें डूबे रहने से यह घटना से उबरने की आपकी क्षमता को निष्क्रिय करता है, जिससे व्‍यक्ति तनावपूर्ण रहता है। हम कई बार सोचते हैं। ऐसा न होकर ऐसा होता तो। ऐसी अनेक बातें सोच-सोचकर हम अफसोस या पश्चात्‍ताप करते रहते हैं। अफसोस करते रहना समय, संकल्प और शक्ति को व्यर्थ बर्बाद करना है। इसलिए इस भावना के बारे में भूलना, माफ करना और चीजों को बेहतर बनाना अफसोस की भावना से बचना का सबसे अच्‍छा तरीका है।

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शर्म
शर्म की भावना आने पर हमेशा दबाव महसूस होता हैं, जिससे आंतरिक पीड़ा महसूस होने लगती है। यह भावना हमेशा बनी रहती है। इस भाव के आने पर हमेशा यह महसूस होता है कि व्‍यक्ति किसी भी लायक नहीं है। इस भावना को दूर करने के लिए आपको इसका सामना करना होगा और इसे अपने अंदर से बाहर निकालकर फेंकना होगा। आपको अपने शर्म के कारण को समझना होगा और सभी अपने को समय और चीजों के अनुसार बदलने की कोशिश भी करनी होगी।

ऐसी भावनाओं पर पाएं काबू जिनसे उठा जाते है आप नुकसान

चोट
जब आप किसी भयानक अनुभव से गुजरते हैं तो आपको चोट महसूस होती है और यह दर्द में बदल जाती है। सच्‍चाई तो यह है कि आप अकेले नहीं है जो अतीत के दर्द से गुजरते हैं बल्कि हर कोई कभी न कभी इस दर्द से गुजरता है। इस भावना से बचने की कोशिश करें और ऐसे चीजों को ढूढ़कर दूर करने की कोशिश करें जिनसे आपको चोट लगती है। इसके अलावा यह बात भी याद रखिए कि व्‍यक्ति या चीज आपको चोट पहुंचती है तो उसे छोड़ दो, क्‍योंकि वह आपके जीवन और समय के लायक नहीं है।

दुख
नानक दुखिया सब संसार- इस संसार में सब दुखी हैं। अपने दुख के लिए व्‍यक्ति हालात को दोषी बताता है। लेकिन, वास्‍तविकता इससे उलट है। हमारे दुखी अथवा सुखी होने का कारण न तो परिस्थितयां होती हैं और न ही कोई दूसरा व्‍यक्ति। वास्‍तव में सुख और हमारे बीच यदि कोई अड़चन है, तो वह हम स्‍वयं हैं। दुख कोई ईश्‍वीय कृति नहीं है। वास्‍तव में दुख हमारी अज्ञानता से पनपता है। हमारा अज्ञान ही हमें दुखी बनाता है। दुख से बचने का एक ही उपाय है, अपनी सोच में बदलाव। सकारात्‍मक सोच। यह याद रखना कि समय का दरिया जिस प्रकार अपने साथ दुख लाया है, उसी प्रकार यह उस दुख को हमारे जीवन से भी बहाकर ले जाएगा।

निराशा
निराशा का अर्थ है अपने साहस को हतोत्‍साहित करना और घबरना। बल्कि दोषपूर्ण तरीके से किसी भी चीज को सोचना निराशा है। हमें निराशा की भावना तब महसूस होती हैं जब हम किसी चीज से भयभीत होते हैं। वह चीज कुछ भी हो सकती हैं। कई बार हम असफल होने के डर से निराशा का एहसास करते हैं। निराशा की कारणों को जाने और उनका सामना करें। साहसी बनकर हर चीज को सामना करना निराशा को दूर करने का एकमात्र तरीका हैं।

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बेबस
बेबसी यानी वो हालात जब आप कुछ भी करने की हालत में न हों। बेबसी शक्ति और सामर्थ्‍य का अभाव नहीं है। बेबसी इन दोनों गुणों के होते हुए भी हो सकती है। बेबसी कहीं न कहीं इच्‍छाशक्ति के अभाव में जन्‍म लेती है। अतीत से बंधे रहना और स्‍वयं पर विश्वास उठना ही बेबसी का मूल कारण होता है। आपको स्‍वयं से पूछना होगा कि आप सही जगह, सही क्रम और सही महसूस करने के लिए क्‍या करना होगा। आप को यह महसूस करने की जरूरत हैं कि आप इंसान है और जो चाहे वह कर सकते हैं।

ऐसी भावनाओं पर पाएं काबू जिनसे उठा जाते है आप नुकसान

चिंता
चिंता की भावना में बेचैनी, पूर्वाभास और अज्ञात डर होता है। आमतौर पर यह समझना बहुत म‍ुश्किल होता है कि चिंता की भावना कहा से आ रही है, लेकिन अगर आप इसे पहचान लेते है तो आप इसे दूर कर सकते हैं। चिंता से लड़ने का एक ही रास्‍ता, जीवन में अधिक शांति की खोज। जो आपको ध्‍यान और जीवन में तालमेल बनाकर मिल सकती है।

ईर्ष्या
मानव जीवन में ईर्ष्या के लिए कोई जगह नहीं है। ईर्ष्या जीवन में नकारात्मक लाती है, आपको इसमें कैद कर देती है और गुस्‍से या कुछ गलता काम करने के रूप में बाहर निकलती है। यह समझना कि आपका जीवन दूसरों से अलग है और आप अद्वितीय हैं, ईर्ष्या को अपने अंदर से बाहर निकालने का बस एक ही तरीका है। इसके अलावा किसी को सफलता मिली है आपको नहीं, इस बात से भी ईर्ष्‍या नहीं करनी चाहिए।

डर
डर सबसे बुरी भावनाओं में से एक है, जो किसी भी व्‍यक्ति को आगे बढ़ने से रोकने के साथ जीवन में उत्‍कृष्‍टता की कमी भी लाता है। अगर आप भय में रहते हैं तो आपका जीवन दुखी होगा और आप अपने जीवन में वहां तक नहीं पहुंच पायेगें जहां आप जाना चाहते हैं। इसलिए डर को अपने जीवन से दूर करने की कोशिश करें।

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