करीब दो साल पूर्व उन्नाव (यूपी) के एक गांव में एक संत ने सोने के कथित भंडार का दावा किया था। लगभग ऐसा ही दावा एक साधु ने आमेर क्षेत्र में एक सुरंगनुमा पौराणिक गुफा के लिए किया है।
आमेर किला और जयगढ़ से जुड़े छोटे सागर की खोळ में खुदाई के दौरान निकली यह गुफा स्थानीय लोगों के लिए रहस्य बनी हुई है।
पहाड़ी की दुर्गम खोळ में इसे उक्त साधु ने खोजा और यहां खुदाई भी करवाई। इसमें 40 फीट के बाद दो रास्ते भी जा रहे हैं। इसमें मशाल जलाकर रोशनी करने के महराब भी दिखाई दिए हैं। हालांकि, अब वह बाबा गायब हो गया है।
खुदाई के दौरान गुफा से भारी मात्रा में पीली मिट्टी निकली है। पुरातत्व विशेषज्ञों का अनुमान है कि आमेर के राजाओं ने पीली की तलाई से मिट्टी मंगवाकर गुफा को बंद करवा दिया होगा।
लोगों के मुताबिक लूटे गए खजाने को छिपाने के लिए इसे मुगल सेनापति व आमेर नरेश मानसिंह प्रथम ने बनवाया था।
कोई इसे चार सौ साल पुरानी और जयपुर-आमेर से जुड़ी भूमिगत सुरंग भी बता रहा है। ऐसी भी अटकलें लगाई जा रही हैं कि संकट के समय किले से बाहर निकलने के अलावा गोला-बारुद छुपाने के लिए इसका निर्माण करवाया होगा।
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यहां नीचे बने मंदिर में रहने वालों ने बताया कि एक पखवाड़े पहले एक बाबा गुफा के पुराने नक्शे लेकर आया था।
मंत्रोच्चार के बाद उसने दस मजदूर लगाकर दस दिन तक यहां खुदाई करवाई थी।
कहा कि गुफा में खजाना होने की सरकार को सूचना देने के बाद अब वह अपने स्तर पर खुदाई करवा रहा है।
खोळ में बकरियां चराने वाली महिलाओं के मुताबिक उन्हें लोगों ने बताया कि ‘खजाना’ के लिए बाबा पहाड़ की गुफा में खुदाई करवा रहा था।