अगर इस गाँव में पुरुषों ने खेली होली तो होती है जबरदस्त धुनाई, कई लोग पहुँच चुके हैं अस्पताल…

राजस्थान के एक छोटे से गांव में होली का त्यौेहार मनाने की अनूठी परम्परा है। धूलण्डी के दिन गांव के सभी पुरूष गांव से बाहर जाकर मेले का आयोजन करते हैं और पूरे दिन गांव में कोई पुरूष प्रवेश नहीं करता।

पीछे से महिलाएं और युवतियां रंग-गुलाल से जमकर होली खेलती हैं।

अगर इस गाँव में पुरुषों ने खेली होली तो होती है जबरदस्त धुनाई

इस दौरान भूलवश कोई पुरूष का प्रवेश हो भी जाए तो महिलाएं उसे निशाने पर ले लेती हैं। उसे ना केवल बुरी तरह रंगा जाता है, बल्कि पिटाई भी की जाती है।

इसके बाद उसे गांव से बाहर निकाल दिया जाता है।

ग्रामीणों के अनुसार गांव के सभी पुरूष व युवा सुबह दस बजे गांव से जुलूस के रूप में रवाना होकर तीन किलोमीटर दूर चावण्डा माताजी के मंदिर पहुंचते हैं।

वहां मेले का आयोजन किया जाता है। इसमें विभिन्न खेलकूद प्रतियोगिताएं व सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं।

तीसरे पहर समाजवार अलग-अलग बैठकों का आयोजन कर समाज सुधार के निर्णय लिए जाते हैं।

गांव में महिलाएं और युवतियां मंदिरों में पहुंचती हैं और भगवान के रंग लगाने के बाद होली खेलती हैं।

लोगों ने बताया कि यही इस त्योहार पर यहां की अनूठी विशेषता है।

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धूलण्डी के अगले दिन गांव में महिला एवं पुरूष सामूहिक रूप से होली खेलते हैं।

इसमें गांव में जगह-जगह रंग से भरे कड़ाहे रखे जाते हैं और इसके चारों और महिलाएं कोड़े लिए खड़ी रहती हैं।

जब पुरूष रंग लेकर महिलाओं को रंगने का प्रयास करते हैं तो महिलाएं पुरूषों को रोकने के लिए कोडे से पीठ पर वार करती है।

यह सिलसिला सुबह से दोपहर बाद तक चलता है।

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