एक बार फिर कंपनियों पर सरकार ने कसी नकेल, 15 जून के बाद लगेगा जुर्माना…

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने फर्जी कंपनियों पर लगाम लगाने के लिए 15 जून की डेडलाइन जारी कर दी है। इस डेडलाइन के बाद ऐसी कंपनियों को काली सूची में डाल दिया जाएगा और 10 हजार रुपये जुर्माना भी लगेगा।
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बता दें की केंद्र सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया है ताकि शैल कंपनियों के बारे में पता किया जा सके। इसके लिए कंपनियों को अपने कार्यालय की अंदर व बाहर की फोटो और एक निदेशक के हस्ताक्षर किया हुआ फॉर्म कंपनी मामलों के मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड करना होगा। जहां इसके साथ ही उस निदेशक की फोटो भी अपलोड करनी होगी।
लेकिन  केंद्र सरकार ने इससे पहले फोटो अपलोड करने की आखिरी तारीख 25 अप्रैल तय की थी, जिसको अब बढ़ाकर के 15 जून कर दिया गया है। जहां सरकार ने शैल कंपनियों को रोकने के लिए यह नियम बनाया था।
हालांकि इससे उन स्टार्टअप्स को परेशानी होगी, जो घर से या फिर शेयर ऑफिस से काम करते हैं। देखा जाये तो पिछले साल सरकार ने तीन लाख कंपनियों को अपनी लिस्ट से बाहर कर दिया था, क्योंकि जांच में उनका अस्तित्व नहीं मिला था।

लेकिन सरकार ने इन कंपनियों के बैंक खातों को भी सील कर दिया था। इसके साथ ही पैसा निकालने पर 10 साल की सजा का प्रावधान कर दिया था। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ने भी ऐसी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उनको शेयर बाजार से हटा दिया था।

दरअसल केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने आयकर अधिकारियों को उन तीन लाख कंपनियों के वित्तीय लेनदेन की जांच करने का निर्देश दिया है, जिनका पंजीकरण सरकार ने रद्द कर दिया था।
वहीं सरकार ने कर चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग के लिए इन कंपनियों पर कार्रवाई की थी। इनमें से कई कंपनियां नोटबंदी के दौरान संदिग्ध लेनदेन में शामिल रही हैं। सीबीडीटी ने आयकर विभाग के कार्यालयों से कहा है कि वे इस विशेष कार्य को अंजाम दें और जांच के दायरे को उस समय-सीमा (पिछले दो वर्षों में) में लेकर आएं, जब इन कंपनियों को कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (एमसीए) के रिकॉर्ड से हटा दिया गया था।

इन कंपनियों द्वारा किए गए संभावित दुरुपयोग का पता लगाने के लिए आयकर कार्यालय इनके बैंक खातों से निकासी और जमा की जांच करें। खासतौर पर पंजीकरण रद्द होने की प्रक्रिया के समय और नोटबंदी के दौरान इन कंपनियों द्वारा की गई वित्तीय लेनदेन की पड़ताल की जाए। सीबीडीटी आयकर विभाग के लिए नीति बनाने वाला निकाय है।

 

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