एक बार फिर इतिहास का सबसे बड़ा फैसला फंसा चुनौतियों के बीच …

भारत सरकार द्वारा एक के बाद एकएतिहासिक निर्णय लिए गये हैं. वहीं इस निर्णय से जनता को काफी लाभ प्राप्त हुआ हैं.लेकिन बतादें की अयोध्या मामले में आज भी निर्णय नहीं हो पाया हैं. 

खबरों के मुताबिक देश का सबसे पुराना मामला, जिसको मुद्दा बनाकर ना जाने कितने चुनाव लड़े गए. अब फैसले की कगार पर खड़ा है. अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर पिछले 32 दिनों से देश की सर्वोच्च अदालत में रोजाना सुनवाई चल रही है.

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जहां चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा है कि इस केस की दलीलें 18 अक्टूबर तक खत्म करने की कोशिश होनी चाहिए, वरना फैसला टल सकता है. अब इतने बड़े मामले की सुनवाई पूरी होना, फिर कम समय में फैसला लिखा जाना किसी चमत्कार से कम नहीं होगा और इतने कम समय में इन सभी बातों को पूरा करना एक चुनौती ही होगी.

देखा जाए तो सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा है कि इस मामले की सुनवाई 18 अक्टूबर तक पूरी करनी होगी, वरना जल्द फैसले का चांस खत्म हो सकता है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि अगर अदालत ने 4 हफ्ते में फैसला दिया तो ये भी एक चमत्कार होगा. चीफ जस्टिस की इस टिप्पणी के बाद इस बहुप्रतिष्ठित मामले में जल्द फैसले की उम्मीद जगने लगी है.

जहां  इस मामले की बहस अभी भी जारी है और ये सुनवाई कबतक चलेगी ये तय नहीं है. अगर सुप्रीम कोर्ट की ओर से 18 अक्टूबर की तारीख फाइनल कर ली जाती है तो सबसे बड़ी चुनौती वकीलों के लिए होगी क्योंकि कम समय में उन्हें अपनी बात/दलीलें अदालत के सामने रखनी होंगी. दलीलें कम समय में देना, तर्क बढ़िया रखना और ऐसे रखना कि मामला पूरी तरह समझा दिया जाए, यही वकीलों के सामने चुनौती है.

क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में भी तक हिंदू-मुस्लिम पक्षों ने अपनी-अपनी दलीलें दे दी हैं हालांकि अभी इंतजार है जवाबों का, जो दलील के बाद अक्सर दिया जाता है. एक पक्ष ये भी है कि अगर वकील नियमित समय में अपनी दलील पूरी नहीं कर पाएंगे तो वह अपना पूरा पक्ष लिखित रूप से अदालत में सबमिट कर सकते हैं.

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा है कि चार हफ्ते में फैसला लिखना चमत्कार होगा. दरअसल, फैसला लिखी जाने में अदालत को समय की जरूरत इसलिए भी है क्योंकि ये मामला काफी पुराना है और अक्सर ये देखा जाता रहा है कि अदालती फैसले काफी बड़े होते हैं, जिसमें तर्क, कहानियां, उदाहरण, पक्ष, विपक्ष सभी कुछ सम्मिलित होता है. ऐसे में नियमित समय में फैसला लिखा जाना चमत्कार साबित होगा.

दरअसल दूसरी बड़ी चुनौती ये भी है कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई का बतौर CJI कार्यकाल 17 नवंबर 2019 को खत्म हो रहा है, अगर मामले की सुनवाई उनके कार्यकाल के आगे तक बढ़ती है तो नए चीफ जस्टिस की अगुवाई में संविधान पीठ एक बार फिर मामले की सुनवाई करेगी. ऐसे में फैसला लिखे जाने में कुछ वक्त बीत सकता है. सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद के मामले पर सुनवाई बीते 6 दशकों से चल रही है.

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