‘एक देश-एक चुनाव’ पर राष्ट्रपति ने की सांसदों से अपील,कहा – ‘विकास के लिए कराना होगा एक साथ चुनाव’ !

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार को संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित किया. राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कई मुद्दों पर बात की और मोदी सरकार के एजेंडे को देश के सामने रखा.

खास बात रही कि उन्होंने एक देश एक चुनाव के मुद्दे पर भी सांसदों से अपील की. राष्ट्रपति ने कहा कि अब समय की मांग है देश में चुनाव एक साथ ही कराए जाएं. क्योंकि अलग-अलग चुनाव से विकास में बाधा होती है. बता दें कि बुधवार को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाई थी.

सदन में राष्ट्रपति ने इस मुद्दे पर कहा, ‘पिछले कुछ दशकों के दौरान देश के किसी न किसी हिस्से में प्रायः कोई न कोई चुनाव आयोजित होते रहने से विकास की गति और निरंतरता प्रभावित होती रही है. हमारे देशवासियों ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों पर, अपना स्पष्ट निर्णय व्यक्त करके, विवेक और समझदारी का प्रदर्शन किया है.’

 

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उन्होंने कहा कि आज समय की मांग है कि एक राष्ट्र और एक चुनाव की व्यवस्था लाई जाए. जिससे देश का विकास तेजी से हो सके और देश के लोग लाभान्वित हो. सभी सांसद इस प्रस्ताव पर गंभीरता पूर्वक विचार करें. लगातार चुनाव होने से देश का विकास रुकता है.’

आज समय की मांग है कि ‘एक राष्ट्र – एक साथ चुनाव’ की व्यवस्था लाई जाए जिससे देश का विकास तेज़ी से हो सके और देशवासी लाभान्वित हों।

ऐसी व्यवस्था होने पर सभी राजनैतिक दल अपनी विचारधारा के अनुरूप, विकास व जनकल्याण के कार्यों में अपनी ऊर्जा का और अधिक उपयोग कर पाएंगे।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लंबे समय से देश में एक साथ विधानसभा और लोकसभा चुनाव कराने पर बात कर रहे हैं. इसी मुद्दे पर बुधवार को पीएम ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, जिसमें देश की सभी राजनीतिक पार्टियों को बुलाया गया था.

हालांकि, पीएम के बुलावे पर कई विपक्षी पार्टियां इस बैठक में शामिल नहीं हुई थीं. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी समेत अन्य विपक्षी पार्टियों ने बैठक का बहिष्कार किया. मायावती और ममता ने इसको समय की मांग नहीं बताया.

पीएम की बैठक में शामिल होने वालों में YRS कांग्रेस के प्रमुख जगन मोहन रेड्डी, BJD प्रमुख नवीन पटनायक, एनसीपी प्रमुख शरद पवार के अलावा कई ऐसे दल भी थे, जो कि एनडीए का हिस्सा नहीं हैं.

 

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