एक ऐसा शहीद जो आज भी है ड्यूटी पर, सच जानकर काँप जाएंगे आप…

क्या कोई सैनिक मृत्यु पश्चात भी अपनी ड्यूटी कर सकता है? क्या सैनिक की आत्मा अपना कर्तव्य निभाते हुए देश की सीमा की रक्षा कर सकती है? आप सबको यह सवाल अजीब से लग सकते हैं।

आप कह सकते हैं कि भला ऐसा कैसे मुमकिन है? पर सिक्किम के लोगों और वहां पर तैनात सैनिकों से अगर आप पूछेंगे तो वह कहेंगे कि ऐसा पिछले 45 सालों से लगातार हो रहा है।

एक ऐसा शहीद जो आज भी है ड्यूटी पर

उन सब का मानना है कि पंजाब रेजिमेंट के जवान “बाबा हरभजन सिंह” की आत्मा पिछले 45 सालों से लगातार देश की सीमा की रक्षा कर रहे हैं।

आखिर कौन थे ‘बाबा हरभजन सिंह’? बाबा हरभजन सिंह का जन्म 30 अगस्त 1946 को जिला गुजरावाला में हुआ था। जो कि वर्तमान में पाकिस्तान में है।

हरभजन सिंह 24 मई पंजाब रेजिमेंट के जवान थे, जो कि 1966 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे। और मात्र 2 साल की नौकरी करके 1968 में सिक्किम में एक दुर्घटना में मारे गए और 3 दिन तक तलाश करने के बाद भी जब उनका शव नहीं मिला, तो उन्होंने खुद अपने साथी के सपने में आकर अपने शव की जगह बताइ।

सवेरे सैनिकों की एक टुकड़ी जब उनके शव को ढूंढने निकले तो उनका शव ठीक उसी जगह पर मिला जहां पर बाबा हरभजन सिंह  ने बताया था।

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कुछ लोग इस आयोजन को अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाला मानते थे। इसीलिए उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया। क्योंकि सेना में किसी भी प्रकार के अंधविश्वास की मनाही होती है।

लिहाजा सेना ने बाबा को छुट्टी पर भेजना बंद कर दिया। अब बाबा हरभजन सिंह साल के 12 महीने छुट्टी पर ही रहते हैं। मंदिर में बाबा का एक कमरा भी है, जिस में प्रतिदिन सफाई करके बिस्तर लगाए जाते हैं।

बाबा के सेना की वर्दी और जूते रखे जाते हैं। कहते हैं कि रोज पूरे सफाई करने पर उनके जूतों में कीचड़ और चद्दर पर सिलवटें पाई जाती है।

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