महानदी मुद्दे पर विशेषज्ञ समिति गठित होगी
नई दिल्ली| महानदी मुद्दे पर केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के साथ शनिवार को नई दिल्ली में एक विशेष बैठक की, जिसमें दोनों राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।
भारती ने बैठक के बाद संवादताओं से कहा कि इस बैठक में पांच महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए है, जिनके तहत केंद्र सरकार एक नए गेज स्टेशन के निर्माण के माध्यम से यह सुनिश्चित करेगी कि हीराकुंड में एक बूंद भी पानी कम न हो।
उमा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उमा भारती के जल संसाधन मंत्री रहते हुए ओडिशा के साथ कोई भी अन्याय नहीं होने दिया जाएगा।
भारती ने कहा कि महानदी मुद्दे पर केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय के विशेष कार्याधिकारी डॉ. अमरजीत सिंह की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाएगा, जो इस बात का पता लगाएगी कि छत्तीसगढ़ व ओडिशा में किन-किन परियोजनाओं के लिए विशेषज्ञ सलाहकार समिति का अनुमोदन नहीं था। इस काम के लिए दोनों राज्यों में दो अलग-अलग दल भेजे जाएंगे।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के अनुरोध पर छत्तीसगढ़ और ओडिशा की सीमा पर महानदी पर नया गेज स्टेशन स्थापित करने के लिए केन्द्रीय जल आयोग को निर्देश जारी कर दिया गया है। इस फैसले पर ओडिशा ने भी अपनी सहमति दे दी है।
भारती ने कहा कि केन्द्रीय जल विज्ञान संस्थान, रूड़की को पूरी महानदी घाटी के विस्तृत अध्ययन का जिम्मा सौंपा गया है। इस संस्थान की रपट पर मंत्रालय द्वारा भविष्य में गठित की जाने वाली समिति या बोर्ड विस्तृत विचार करेगा।
उन्होंने आगे कहा कि इस मुद्दे पर एक विशेषज्ञ समिति के गठन का ओडिशा का सुझाव छत्तीसगढ़ ने मान लिया है। हालांकि छत्तीसगढ़ ने इस मुद्दे पर संयुक्त निगरानी बोर्ड के गठन का प्रस्ताव दिया था। इस समिति में पर्यावरणविद, पूर्व न्यायाधीश व जल विज्ञान से जुड़े विशेषज्ञ शामिल किए जाएंगे।
उमा ने कहा कि उन्होंने छत्तीसगढ़ से आग्रह किया है कि वह एक सप्ताह के लिए अपने छह बैराजों के निर्माण कार्य रोक दे।
उन्होंने स्पष्ट किया कि केन्द्रीय जल आयोग के पास छत्तीसगढ़ से सिंचाई योजनाओं का कोई भी मास्टर प्लान विचाराधीन नहीं है।
उमा ने यह भी कहा कि छत्तीसगढ़ में निर्माणाधीन बैराजों पर कार्य पिछले 10 वर्षो से चल रहा था किन्तु ओडिशा ने इस पर इस वर्ष जून में आपत्ति दर्ज की। उन्होंने कहा कि इस पर समुचित विचार करने के लिए उनके मंत्रालय को पर्याप्त समय चाहिए।