उत्तर में बुधवार को रहता है दिशाशूल

एजेंसी/SAS13 अप्रेल 2016 को बुधवार है। इस दिन शुभ वि.सं.: 2073, संवत्सर नाम: सौम्य, अयन: उत्तर, शाके: 1938, हिजरी: 1437, मु.मास: रज्जब-5, ऋतु: बसन्त, मास: चैत्र, पक्ष: शुक्ल है।

शुभ तिथि

सप्तमी भद्रा संज्ञक तिथि रात्रि 9.41 तक, तदन्तर अष्टमी जया संज्ञक तिथि रहेगी। सप्तमी तिथि में यथा आवश्यक समस्त शुभ व मांगलिक कार्य, यात्रा, सवारी, नाचना-गाना, वस्त्रालंकार, गृहारम्भ व प्रवेश आदि तथा अष्टमी तिथि में मनोरंजन के कार्य, नृत्य, गीत, संगीत आदि, रत्नालंकार, विवाह, वधू-प्रवेश, प्रतिष्ठा, वास्तुकर्म, चित्रकारी व शस्त्रधारण आदि कार्य शुभ व सिद्ध होते हैं। सप्तमी तिथि में जन्मा जातक सामान्यत: धनी, गुणवान, गुरु व देवताओं की पूजा करने वाला, सदाचारी तथा दृढ़व्रती होता है।

नक्षत्र

आर्द्रा नक्षत्र दोपहर बाद 2.22 तक, तदुपरान्त पुनर्वसु नक्षत्र रहेगा। आर्द्र्रा नक्षत्र में तीक्ष्ण व दारूण संज्ञक कार्य, कलह, विवाद, बंधन, छेदन तथा विद्यादि कार्य सिद्ध होते हैं। पुनर्वसु नक्षत्र में शांति, पुष्टता, यात्रा, अलंकार, गृह, व्रतादि, सवारी, विद्या व कृषि संबंधी कार्य शुभ व सिद्ध होते हैं। 

आर्द्रा नक्षत्र में जन्मा जातक सामान्यत: शूरवीर, नम्र स्वभाव, साहसी, बुद्धिमान, विचलित, मन-मस्तिष्क वाला, ओछे विचार वाला, अल्पशिक्षित, आडम्बरी होता है। ये लोग प्राय: मैकेनिकल व इंजीनियरिंग के कार्यों में विशेष रुचि रखने वाले होते हैं। इनका भाग्योदय प्राय: 25 वर्ष के आयु के बाद ही होता है।

योग

अतिगंड नामक नैसर्गिक अशुभ योग दोपहर बाद 2.44 तक, उसके बाद सुकर्मा नामक नैसर्गिक शुभ योग रहेगा।

करण

गर नाम करण प्रात: 10.05 तक, इसके बाद रात्रि 9.41 तक वणिज नाम करण, तदन्तर भद्रा प्रारम्भ हो जाएगी। भद्रा में शुभ व मांगलिक कार्य यथासंभव त्याग देने चाहिए।

चंद्रमा

सम्पूर्ण दिवारात्रि मिथुन राशि में रहेगा।

परिवर्तन

भुवन भास्कर भगवान आदित्य सायं 7.48 पर, अश्विनी नक्षत्र व मेष राशि में प्रवेश करेंगे। मेष की संक्रांति 45 मु. है। पुण्यकाल दोपहर बाद से।

व्रतोत्सव 

मेष संक्रांति, मीन मलमास समाप्त, दुर्गापूजन प्रारम्भ (बंगाल), वैशाखी (बं.) अद्र्धकुम्भ पर हरिद्वार में मुख्य स्नान, सातवां नवरात्रा। कालरात्रि भगवती के स्वरूप की विशेष पूजा अर्चना शास्त्रविहित है। भगवती कालरात्रि की कृपा से अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है तथा व्यापार, नौकरी व रोजगार में आने वाली बाधाएं मां की कृपा से दूर होती हैं।

शुभ मुहूर्त

उक्त शुभाशुभ समय, तिथि, वार, नक्षत्र व योगानुसार बुधवार को पुनर्वसु नक्षत्र में अन्नप्राशन के लिए शुभ मुहूर्त है।

वारकृत्य कार्य

बुधवार को सामान्यत: शिक्षा, विद्याध्ययन, साहित्यारम्भ, वेदाध्ययन, लेखन, प्रकाशन, नौकरी प्रारम्भ करना, व्यापार-व्यवसायारम्भ, मैत्री, सन्धि, राजीनामा, समझौता, संगीत, नृत्य, कलारंभ आदि कार्य शुभ व सिद्ध होते हैं।

दिशाशूल

बुधवार को उत्तर दिशा की यात्रा में दिशाशूल रहता है। अति आवश्यकता में कुछ तिल चबाकर शूल दिशा की अनिवार्य यात्रा पर प्रस्थान कर लेना चाहिए। वैसे चंद्र स्थिति के अनुसार पश्चिम दिशा की यात्रा लाभदायक व शुभप्रद रहेगी। 

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