उत्तराखंड में शिक्षा की बदहाल व्यवस्था, निजी स्कूलों में गरीबों के एडमिशन पर इस वजह से मंडरा रहा है संकट

उत्तराखंड के हजारों निजी स्कूलों की करीब 95 हजार सीटों पर गरीब और अपवंचित वर्ग के बच्चों के प्रवेश पर संकट के बादल हैं। नया शिक्षा सत्र शुरू होने में दस दिन से भी कम का वक्त रह गया है।

उत्तराखंड निजी स्कूलों

उसके बावजूद अब तक ऑनलाइन प्रवेश की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है, जबकि प्रवेश की इस प्रक्रिया में एक माह से अधिक का समय लगता है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत निजी विद्यालयों की पहली कक्षा में 25 फीसदी सीटों पर गरीब और अपवंचित वर्ग के बच्चों को मुफ्त प्रवेश दिया जाता है।

पिछले वर्ष राज्य की 95992 सीटों पर बच्चों को प्रवेश दिया गया था। लेकिन इस सत्र में बच्चों के प्रवेश को लेकर अब तक असमंजस बना हुआ है। यहां तक कि विभागीय अधिकारियों तक को पता नहीं कि आरटीई के तहत एडमिशन होंगे या नहीं।

अधिकारियों के अनुसार उन्हें अब तक उच्चाधिकारियों की ओर से अब तक एडमिशन प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश नहीं मिले हैं। ऐसे में एक अप्रैल से शुरू होने वाले शैक्षणिक सत्र में आरटीई से बच्चों को प्रवेश मिलने की संभावना न के बराबर है।

237 करोड़ का बकाया
आरटीई के तहत प्रवेश के बदले सरकार निजी स्कूलों को प्रतिपूर्ति व्यय का भुगतान करती है। विद्यालयों को वर्ष 2017-18 और 18-19 के प्रतिपूर्ति व्यय के रूप में 237.41 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाना है। पिछले दो वर्षों में विद्यालयों को एक रुपये का भी भुगतान नहीं किया गया है।

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लगेगा करीब एक माह का समय
ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया शुरू होने के बाद एडमिशन होने में एक माह से अधिक का समय लगता है। अभिभावकों को पहले ऑनलाइन आवेदन करना होता है। इसके बाद विभागीय स्तर पर विद्यालयों में रिक्त सीटों का ब्योरा तैयार किया जाता है। बच्चों को उनके नजदीकी विद्यालय में प्रवेश दिलाया जाता है।

क्या है आरटीई
शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत छह से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है। इसके तहत प्रत्येक निजी विद्यालय की पहली कक्षा की 25 फीसदी सीटें अपवंचित व निर्धन वर्ग के छात्र-छात्राओं के लिए आरक्षित होती है। आठवीं कक्षा तक बच्चे की पढ़ाई एक्ट के अंतर्गत मुफ्त की जाती है। इसमें अल्पसंख्यक व आवासीय विद्यालयों को छूट है।

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किसको मिलेगा लाभ
अपवंचित और निर्धन वर्ग के लोगों आरटीई के तहत एडमिशन करवा सकते हैं। अपवंचित वर्ग में अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ी जाति, दिव्यांग, एचआईवी पीड़ित, विधवा, निराश्रित और तलाकशुदा लोगों के बच्चे शामिल हैं। वहीं निर्धन वर्ग में आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चे शामिल होते हैं।

विद्यालयों के प्रतिपूर्ति व्यय के लिए 60 करोड़ रुपये आवंटित करने पर सहमति बनी है। यह प्रस्ताव वित्त विभाग को भेज दिया गया है। अगले कुछ दिनों में आरटीई के नए सत्र में होने वाले प्रवेश को लेकर स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।

 

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