उत्तराखंड के जंगलों में तीन दिन से लगातार धधक रही आग

भीषण गर्मी के बीच उत्तराखंड के कुमाऊं और गढ़वाल में चारों तरफ जंगलों की आग बेकाबू होती जा रही है। गुरुवार तक कुमाऊं के जंगलों, वन पंचायतों और सिविल सोयम में 373.035 हेक्टेयर वन संपदा को नुकसान पहुंच चुका है। बृहस्पतिवार को जंगल की आग नैनीताल के पटवाडांगर जैव प्रौद्योगिकी संस्थान के पुराने भवन की छत तक पहुंच गई। छत जलने के साथ ही भवन को भी नुकसान हुआ है। बाराकोट (चंपावत) वन क्षेत्र की आग जीआईसी परिसर तक पहुंच गई जिसे बमुश्किल बुझाया जा सका। कार्बेट पार्क के कालागढ़ के जंगलों में भी आग लगी, जिसे बुझा दिया गया है।
धधक रही आग

पिथौरागढ़ के नाचनी क्षेत्र में धामी फल्याती और मूर्ति, कालूछीना के वनों में आग लगने से बहुमूल्य वन संपदा खाक हो गई है। अल्मोड़ा के गैराड़ मंदिर से सटे जंगल, जौरासी, ताकुला ब्लाक में गणानाथ और मोहान तथा सोमेश्वर के जंगलों और मौलेखाल क्षेत्र में भी कई जंगलों में आग लगी है। नैनीताल जिले के ज्योलीकोट क्षेत्र के लगी आग से मनोरा रेंज के नैनागांव, देवीधूरा, बल्दियाखान, पटवारडांगर, ताकुला आदि क्षेत्रों में वन संपदा को काफी नुकसान पहुंचा है।

ओखलकांडा के छिड़ाखान, डालकन्या, बेडूचुला, बलना, बडौन गांव के जंगलों में लगी आग से वन संपदा को काफी नुकसान पहुंचा है। चंपावत में वनाग्नि बाराकोट जीआईसी परिसर तक पहुंच गई। डीडीहाट के क्षनपट्टा के जंगलों में सीराकोट के नीचे, कनालीछीना के ग्राम पंचायत सिरौली के जंगल, गणाई गंगोली के वन पंचायत कूना भेतकुड़ी में आग से काफी नुकसान हुआ है।

चंपावत में फसलों को भी नुकसान, महकमों को अलर्ट जारी

चंपावत विकासखंड के ग्राम पंचायत बुड़म के तोक बकौरिया में लगी जंगल की आग से गांव में खेत में अदरक, गडेरी, तेज पत्ते की खड़ी फसल को भारी नुकसान हुआ। चंपावत वन प्रभाग के बूम रेंज के जंगलों में लगी आग तेजी से मां पूर्णागिरि धाम की पहाड़ी की ओर फैल रही है जिससे धाम की सुरक्षा पर खतरा मंडराने लगा है। खतरे को देखते हुए वन, अग्निशमन और पुलिस प्रशासन को अलर्ट रहने के निर्देश दिए गए हैं।

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54 स्थानों पर धधक रहे जंगल
कुमाऊं के पिथौरागढ़ के अस्कोट रेंज, चंपावत के दोगाड़ी, कार्बेट के कालागाढ़, बिनसर रिजर्व फॉरेस्ट सेंचुरी, नैनीताल के मनोरा, रामनगर के देचौरी, हल्द्वानी वन प्रभाग के जौलासाल, डांडा रेंज, नंधौर रेंज, बूम रेंज, गौला रेंज, भवाली, चंपावत के भिंगरारा, दोगाड़ी, बागेश्वर के बैजनाथ, अल्मोड़ा के जौरासी, रानीखेत, सोमेश्वर, मोहान, द्वाराहाट समेत कुमाऊं के जंगलों में 54 स्थानों पर आग की घटनाएं सामने आईं। कुछ स्थानों पर आग की बड़ी घटनाएं हुईं। विभागीय आंकड़ों के मुताबिक बृहस्पतिवार तक 633525 रुपये की वन संपदा का नुकसान हुआ है। ये विभाग का आंकड़ा है। इसके अलावा भी कुमाऊं में तमाम जगह जंगल धधक रहे हैं।

धुएं-धुंध ने यातायात भी रोका
जंगलों की आग से कुमाऊं की वादियों में धुंध छाई हुई है। हाल ये है कि नैनीताल के ऐरीज से सटे जंगल में लगी आग से फैले धुएं के गुबार के कारण कुछ देर के लिए यातायात भी रोकना पड़ा। धधकती पहाड़ियों से गिर रहे पत्थरों के कारण वाहन चालकों को ज्योलीकोट-नैनीताल हाईवे पर संभलकर चलना पड़ा। बागेश्वर जिले में वज्यूला और बली बुबु मंदिर के समीप के जंगलों में आग से छाई धुंध के कारण यातायात भी बाधित रहा। जिन इलाकों में जंगल जल रहे हैं वहां वातावरण में छाए धुएं के कारण लोगों को सांस लेने में दिक्कत और आंखों में जलन की शिकायत हो रही है।

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वन कर्मियों की छुट्टी पर रोक
फायर सीजन में दावानल के खतरे को देखते हुए वनकर्मियों की छुट्टियों पर रोक लगी हुई है। पश्चिमी वृत्त के वन संरक्षक डॉ. पराग मधुकर धकाते और डीएफओ बागेश्वर बीएस शाही के मुताबिक जहां से भी आग लगने की सूचना मिल रही है, वन कर्मचारी वहां जागर आग बुझा रहे हैं। इन अफसरों के दावे अपनी जगह हैं लेकिन संसाधनों के अभाव में कई जगह चीड़ के जंगलों में तेजी से फैल रही आग पर काबू पाना संभव नहीं हो पा रहा है।

तीन दिनों से जंगल धू-धू कर जल रहे

गढ़वाल में पीपलकोटी के बिरही क्षेत्र में तीन दिनों से जंगल धू-धू कर जल रहे हैं। जंगलों में लगी आग से लाखों की वन संपदा जल गई है। आग की लपटें इतनी तेज हैं कि वन विभाग के कर्मचारी भी इसे बुझा नहीं पा रहे हैं। वनाग्नि से बिरही घाटी में गहरी धुंध छा गई है।
मंगलवार को बिरही क्षेत्र के चीड़ के जंगलों में आग भड़क गई थी। ग्रामीणों की सूचना पर बदरीनाथ वन प्रभाग के कर्मचारी भी मौके पर पहुंचे, लेकिन आग की लपटें तेज होने से आग पर काबू नहीं पाया जा सका है। अभी तक क्षेत्र में कई हेक्टेयर जंगल आग से स्वाहा हो गया है। बिरही के तारेंद्र दत्त का कहना है कि आग से क्षेत्र में धुंध फैल गई है। जंगल में चीड़ के पौधे भी नष्ट हो गए हैं। बदरीनाथ वन प्रभाग के प्रभारी डीएफओ अमित कंवर का कहना है कि आग चट्टानी क्षेत्र में पहुंच गई है, जिससे वन कर्मी आग को बुझा नहीं पा रहे हैं। आग पर काबू पाने के पूरे प्रयास किए जा रहे हैं।
अलकनंदा घाटी के दोनों ओर के जंगल चार दिनों से आग से धधक रहे हैं। वन विभाग भी आग नहीं बुझा पा रहा है जिससे आग फैलती जा रही है। आग लगने से घाटी में चारों ओर धुंध दिखाई दे रही है। यदि जल्दी आग बुझाने के लिए उचित कदम नहीं उठाए गए, तो काफी बड़े क्षेत्र में वन संपदा राख हो जाएगी।
कीर्तिनगर क्षेत्र के चौरास व कड़ाकोट क्षेत्र के जंगलों में सोमवार से आग लगी हुई है। वन विभाग ने दावा किया था कि आग पर काबू पा लिया गया है, लेकिन आग यहां लगातार फैलती जा रही है। गुरुवार को पहाड़ियों से धुआं उठता रहा। जखंड क्षेत्र में दोबारा जंगलों में आग लग गई है। चंद्रबदनी, बौंठ, ढुंढसिर व अमरोली भी जंगल आग की चपेट में हैं। वहीं श्रीनगर तहसील खोला क्षेत्र के जंगलों में आग बेकाबू हो गई। तीन दिन पूर्व इसी क्षेत्र के समीप जीआईसी श्रीनगर के ऊपर जंगल में आग लगी थी। डीएफओ सिविल सोयम पौड़ी संतराम ने बताया कि आग बुझाने के लिए कर्मचारी भेजे जा रहे हैं। वहीं डीएम पौड़ी डीएस गर्ब्याल ने बताया कि वन विभाग को आग से त्वरित निपटने के निर्देश दिए गए हैं।

दस हेक्टेयर वन संपदा हो चुकी नष्ट

चमोली जिले में इस वर्ष अभी तक वनाग्नि की दस घटनाएं हुई हैं, जिसमें दस हेक्टेयर वन संपदा नष्ट हो चुकी है। केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के डीएफओ अमित कंवर ने बताया कि जंगलों की आग बुझाने के लिए वन कर्मियों की तैनाती की गई है। ग्राम पंचायतों से भी सहयोग की अपील की गई है।

जंगल की आग पहुंची गांव, मकान जला
भिलंगना रेंज के रौसाल गांव के जंगल की आग से एक टिन का कच्चा मकान जल गया। गुरुवार दोपहर डेढ़ बजे करीब रौसाल गांव के नीचे जंगल में एकाएक आग धधक उठी। वन कर्मी और ग्रामीण जब तक आग पर काबू पाते तब तक आग गांव के समीप तक जा पहुंची। लगभग दो घंटे तक आग तेजी से फैलती रही। चारों तरफ धुआं छाया रहा। ग्राम प्रधान जयंती प्रसाद जोशी ने बताया कि आग से गांव के राजेंद्र प्रसाद पेटवाल का कच्चा मकान जलकर राख हो गया है। मकान के अंदर रखा सामान भी जलकर स्वाह हो गया है। उन्होंने वन विभाग से प्रभावित परिवार को शीघ्र मुआवजा देने की मांग की है। उन्होंने बताया कि सूचना पर वन कर्मी आग बुझाने पहुंच गए थे, लेकिन आग की लपटें तेज होने के कारण राजेंद्र प्रसाद पेटवाल के कच्चे मकान को आग से नहीं बचाया जा सका है।

अलकनंदा घाटी के दोनों ओर जंगल आग की चपेट में

श्रीनगर में अलकनंदा घाटी के दोनों ओर जंगल पिछले चार दिनों से आग में धधक रहे हैं। आग बुझाने में वन विभाग असफल रहा है। जिससे आग फैलती जा रही है। आग लगने से घाटी में चारो ओर धुंध दिखाई दे रही है। यदि जल्दी आग बुझाने के लिए उचित कदम नहीं उठाए गए, तो काफी बड़े क्षेत्र में वन संपदा राख हो जाएगी।

कीर्तिनगर क्षेत्र के चौरास व कड़ाकोट क्षेत्र के जंगलों में सोमवार से आग लगी हुई है। वन विभाग ने दावा किया था कि आग पर काबू पा लिया गया है। लेकिन  आग यहां लगातार फैलती जा रही है। गुरुवार को पहाड़ियों से धुआं उठता रहा। जखंड क्षेत्र में  भी दोबारा जंगलों में आग लग गई है।  चंद्रबदनी, बौंठ, ढुंढसिर व अमरोली भी जंगल आग की चपेट में हैं।

वहीं श्रीनगर तहसील खोला क्षेत्र के जंगलों में आग बेकाबू हो गई। तीन दिन पूर्व इसी के समीप जीआईसी श्रीनगर के ऊपर जंगल में भी आग लगी थी। बस्तियों और सड़कों के पास फैल रही आग से ऐसी आशंका जतायी जा रही है कि शरारती तत्व आग लगा रहे हैं। डीएफओ सिविल सोयम पौड़ी संतराम ने बताया कि आग बुझाने के लिए कर्मचारी भेजे जा रहे हैं। वहीं डीएम पौड़ी डीएस गर्ब्याल ने बताया कि वन विभाग को आग से त्वरित निपटने के निर्देश दिए गए हैं।

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