उजागर हुआ बड़ा मिट्टी घोटाला, आरटीआई कार्यकर्ता को विभाग नहीं बता पा रहा हकीकत

रिपोर्टर-  अंकित साह 

हल्द्वानी। सिंचाई विभाग का एक बड़ा कारनामा उजागर हुआ है। सिंचाई विभाग ने नाला बनाने के नाम पर सड़क किनारे खुदाई की जिसमें से निकली सैंकड़ो ट्रक मिट्टी को विभाग ने ठेकेदार के साथ मिलकर बेच दिया। अब विभाग आरटीआई से सूचना मांगने पर भी जवाब नहीं दे पा रहा है।

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हल्द्वानी के कालाढूंगी रोड में जल भराव की समस्यां को देखते हुए सिंचाई विभाग द्वारा 68 लाख रूपये की लागत से आधा किलोमीटर लम्बे नाले का निर्माण कार्य कराया जा रहा है। पिछले दो माह से चल रहे नाले के निर्माण कार्य में खोदी गई। 48 सौ घनमीटर मिट्टी को खुर्द बुर्द करने की आंशका जताई गई है। नाले के लिये आठ फिट चौड़े और गहरे गड्डे को खोदे जाने के बाद सैंकड़ो ट्रक मिट्टी का सिंचाई विभाग ने क्या किया किसी को नहीं पता।

आरटीआई कार्यकर्ता हेमन्त गौनिया द्वारा आरटीआई के तहत जानकारी मांगने के बाद भी सिंचाई विभाग ये नहीं बता पा रहा है की नाले से निकली पांच सौ ट्रक मिट्टी आॅखिर कहा गई। वही आरटीआई कार्यकर्ता हेमन्त गौनिया द्वारा मामले में राजयपाल, मुख्यमंत्री और कुमाऊँ कमिश्नर से शिकायत करने के बाद अब मामले की जाॅच शुरू हो गई है।

वही मिट्टी को खुर्द बुर्द कर लाखों रूपये के राजस्व को चूना लगा कर विभागीय अधिकारी सफाई देने में लगे है। वहीं अधिशासी अभियन्ता तरूण बंसल का कहना है कि उनके विभाग द्वारा मिट्टी की रायल्टी काटी गई है और जो भी आरोप लगाए जा रहे है वो गलत है। हालांकि कैमरे के सामने सिंचाई विभाग के अधिशाषी अभियंता कितनी गाड़ी मिटटी निकाली गई और कितनी रॉयल्टी जमा कराई गयी इसको बता पाने में असमर्थ दिख रहे है और उनकी घबराहट भी कैमरे में साफ नजर आ रही है।

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राज्य में जीरो टॉलरेंस की निति वाली सरकार होने के बावजूद अधिकारियों की मिलीभगत से कैसे भ्रष्टाचार का खेल खेला जा रहा है इसके लिये ये उदाहरण काफी है अगर सरकार ने ऐसे अधिकारियों पर जल्द नकेल नहीं कसी तो सरकारी अधिकारी ही सरकार को चूना लगाते रहेंगे और सरकार सिर्फ जीरो टॉलरेंस के दावे ही करती रह जाएगी।

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