इस लड़की के साथ मछलियों से मसाज करवाना पड़ा महंगा , घर आकर पैरों की कटवानी पड़ी उंगलियां…

अक्सर लोग अपनी रोज की भागदौड़ से रिलेक्स होने के लिए तरह-तरह के मसाज और स्पा ट्राई करते हैं. कभी इज़राइल में स्नेक मसाज, तो कभी टोक्यो में जाकर घोंघो से फेशियल करवाते हैं.

 

 

बतादें की भारत में भी तरह तरह के इत्रों, तेलों से किए जाने वाले पारंपरिक मसाज उपलब्ध हैं. कई सामान्य, और कई अजीबो गरीब स्पा के तरीकों में से एक ‘फिश स्पा’ भी है. जिसमें मछली पांव के डेड सेल्स खाती है. पिछले कुछ सालों से पेडीक्योर का ये तरीका लोगों को बहुत पसंद आ रहा है.

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लेकिन जैसा हर प्रसिद्ध चीज़ या व्यक्ति के साथ होता है, एक दिन उसके बुरे पहलू दिखना शुरू हो जाते हैं, वही इस फिश स्पा (फिश मसाज़ या फिश पेडिक्यॉर) के साथ भी हुआ. और हमारी ये खबर तेज़ी से प्रसिद्ध हो रहे फिश-मसाज़ के उसी बुरे पहलू से संबंधित है.

वहीं विक्टोरिया 2010 में अपने देश, यानी ऑस्ट्रेलिया, से थाइलैंड घूमने गई थीं. उसने फिश पेडिक्यॉर पहली बार देखा. सलून में जाकर फिश स्पा ट्राई कर लिया. बाद में जब ऑस्ट्रेलिया पहुंची तो पांव में इंफेक्शन हो गया. इंफेक्शन इतना फैला कि पांव की सारी अंगुलियां ही काटनी पड़ गईं.

देखा जाए तो 29 साल की विक्टोरिया ऑस्ट्रेलिया की रहने वाली हैं. 2006 में उनके पांव में कांच चुभ गया था. तब पांव में इंफेक्शन हुआ. पर फिर इलाज करवाने के बाद ठीक हो गया.

जब 2010 में विक्टोरिया थाइलैंड घूमने गईं. तो वहां फिश पेडिक्यॉर करवाया. वापस लौटीं तो बुखार आने लगा. डॉक्टर ने बहुत टेस्ट करवाए. एक साल बाद पता चला कि विक्टोरिया को ‘ऑस्टीओमेलिटीस’ हो गया है.

‘ऑस्टीओमेलिटिस’ हड्डियों के इंफेक्शन को कहते हैं. विक्टोरिया के  पांव के अंगूठे की हड्डी गल चुकी थी. डॉक्टर ने उन्हें अंगूठा कटवाने की सलाह दी. अंगूठा कटवाने के बाद भी जब आराम नहीं मिला, तो पांव की सारी अंगुलियां ही काटनी पड़ गईं. अब विक्टोरिया का कहना है कि, जिस टैंक में वो पांव डाले हुई थी उसके पानी में बैक्टीरिया थे जिसने 2006 में हुए इन्फेक्शन को दोबारा पैदा कर दिया था.

इसके बाद विक्टोरिया ने लोगों को फिश स्पा से होने वाले नुकसान के प्रति लोगों को जागरूक करना शुरू कर दिया. वो इंस्टाग्राम पर अपना अनुभव लोगों से साझा करते हुए अपने पांव की तस्वीर शेयर करती हैं और लिखती हैं-

जब मैं स्पा के लिए गई थी  तब टैंक को मेरे सामने ही साफ किया गया. फिर भी मुझे बोन इंफेक्शन हो गया. खुद डॉक्टर्स को बीमारी का पता लगाने में एक साल लगा.

चलने फिरने में बहुत तकलीफ होती थी. सर्जरी के बाद आराम मिला. पहले पांव को देखकर बहुत बुरा लगता था. मगर इस दुनिया में लोगों को मुझसे भी ज्यादा भयानक बीमारियां हैं. मैं खुशनसीब हूं कि मुझे कोई ज्यादा बड़ी बीमारी नहीं हुई.

दरअसल पूरी दुनिया में थाइलैंड का फिश स्पा बहुत फेमस है. सबसे पहले इसकी खोज जापान के हकोन में 2006 में की गई थी. इस टेक्निक में एक टैंक को पानी से भर दिया जाता है. टैंक में लगभग 100 से 150 गारा रूफा मछलियां होती हैं. एशिया और अंतोलिया के तालाबों और झीलों में ये मछलियां पाई जाती हैं.

गोरा रूफा मछलियों को डॉक्टर फिश भी कहते हैं. इनके दांत नहीं होते. ये पांव की डेड स्कीन को खाकर जिंदा रहती हैं. स्पा के लिए इन्हें भूखा रखा जाता है. जैसे ही लोग टैंक में पांव डालते हैं, मछलियां पांव की डेड स्किन को खाना शुरू कर देतीं हैं. जिसके बाद पांवों में सिर्फ सिल्की स्कीन बच जाती है. फिश स्पा से ‘सोरियासिस’ और ‘एक्जिमा’ जैसी बीमारियों को ठीक किया जा सकता है. ‘सोरियासिस’ में डेड सेल्स्किस की वजह से स्किन खुरदरी और  ‘एक्जिमा’ में स्किन पर छाले पड़ने से खून आने लगता है.

थाइलैंड की सरकार का कहना है कि यहां बहुत से गैर कानूनी स्पा हैं. जिन्हें रजिस्टर नहीं करवाया जाता. ये स्पा साफ सफाई पर ध्यान नहीं देते. जिससे लोग बीमार पड़ जाते हैं. आप टूल्स को तो साफ कर सकते हैं, मगर मछलियों के मुंह को कैसे साफ करेंगे.  हर कस्टमर के स्पा के लिए नई मछलियां भी खरीदकर नहीं लाई जा सकतीं. क्योंकि ये बहुत महंगी होती है.

लेकिन ये गारा रूफा मछलियां एक तरह का बैक्टीरिया पैदा करती हैं. जो कस्टमर के पैरों में घुसकर उसे बीमार करता है. अगर स्पा लेने वाले इंसान को HIV और हेपाटाइटिस सी है. तो इस केस में इस इंसान को लगी किसी भी तरह की चोट पानी से वाइरस ट्रांसफर कर सकती है. फंगल इंफेक्शन भी स्पा से फैलता है. फिश स्पा से फैल रहे इन इन्फेक्शन्स को देखते हुए, य़ूएस की 14 स्टेट्स में फिश स्पा को बैन कर दिया है.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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